– नाग पूजन मूल मंत्र
“ओम नमः नागाय”
यह सरल और प्रभावशाली बीज मंत्र है. इसका जप नाग पंचमी के दिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्रों में शांत मन से कम से कम 108 बार करें. यह मंत्र नाग देवताओं के प्रति समर्पण का प्रतीक है और इससे भय, रोग और कष्ट दूर होते हैं.
– नाग गायत्री मंत्र
“ओम फणिनायकाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्”
यह मंत्र नाग देवता के दिव्य स्वरूप का ध्यान कर उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु जप किया जाता है. इससे विशेष रूप से सर्प दोष और कालसर्प दोष का शमन होता है.
– अष्टनाग स्तुति मंत्र
“अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्
शङ्खपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा”
यह मंत्र अष्टनागों की वंदना करता है – जो आठ प्रमुख नाग देवता माने गए हैं. नाग पंचमी के दिन इस मंत्र का 11 या 21 बार पाठ करने से परिवार को सर्प भय से मुक्ति मिलती है.
– सर्प सुरक्षा मंत्र
“सर्पानां पादमस्तकं यः स्मरेन्नियतः सदा
न सर्पभयं तस्य सर्वत्र विजयं लभेत्”
इस मंत्र से व्यक्ति को सर्पदंश का भय नहीं रहता, और यात्राओं में सुरक्षा मिलती है. विशेष रूप से किसान, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग इस मंत्र का नियमित जप करें.
– कालसर्प दोष निवारण मंत्र
“ओम नागराजाय नमः”
यह मंत्र उन जातकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिनकी कुंडली में कालसर्प योग है. नाग पंचमी के दिन इसका 108 बार जाप करने से ज्योतिषीय बाधाओं का शमन होता है.
– विशेष सुझाव
नाग पंचमी के दिन कच्चे दूध, दूर्वा, चंदन, और फूलों से नाग देवता का पूजन करें.
मिट्टी या चित्र रूप में नाग की पूजा करें, और उन्हें दूध अर्पित करने से बचें, यह परंपरा के विपरीत और जीवों के लिए हानिकारक है.
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नाग पंचमी का पर्व केवल सांपों की पूजा नहीं, बल्कि प्रकृति, ऊर्जा और रहस्य के प्रतीकों के प्रति आदर का दिन है. उपरोक्त मंत्रों से सच्चे श्रद्धा भाव से पूजा करने पर नाग देवता प्रसन्न होते हैं और जीवन में शांति, सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करते हैं.