Nag Panchmi 2025: क्या आप नाग पंचमी पर पूजा के योग्य हैं? पहले ये पढ़ लें

Nag Panchmi 2025: नाग पंचमी का पर्व श्रद्धा और नियमों से जुड़ा है, लेकिन क्या हर व्यक्ति इस दिन नाग देवता की पूजा कर सकता है? कुछ विशेष परिस्थितियों में पूजा वर्जित मानी गई है. जानें कौन लोग नाग पंचमी पर पूजा से बचें और क्यों यह नियमों का पालन करना आवश्यक है.

By Shaurya Punj | July 28, 2025 12:44 PM
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नाग पंचमी, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र पर्व है. इस दिन श्रद्धालु नाग देवता की पूजा कर उन्हें दूध, फूल, दूर्वा, लड्डू आदि अर्पित करते हैं. मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से कालसर्प दोष, सर्प भय और जीवन की नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है. लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में कुछ लोगों को नाग पूजा से बचना चाहिए, अन्यथा इसके विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं.

गर्भवती महिलाएं रहें सावधान

गर्भवती महिलाओं को नाग पंचमी के दिन पूजा स्थलों पर जाने या विशेष अनुष्ठानों में शामिल होने से बचना चाहिए. अक्सर यह पूजा खुले स्थानों, खेतों या मंदिरों में होती है, जहां साँपों का वास हो सकता है. ऐसे में किसी भी अनहोनी या भय का प्रभाव गर्भवती महिला के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर पड़ सकता है.

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मासिक धर्म (Periods) में महिलाएं

हिंदू परंपरा के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान पूजा-पाठ वर्जित माना जाता है। ऐसे में इस दौरान नाग पंचमी की पूजा से परहेज करना चाहिए.

राहु-केतु से पीड़ित जातक बिना सलाह पूजा न करें

जिन लोगों की जन्मकुंडली में राहु और केतु अत्यंत अशुभ स्थिति में हों और जिनके जीवन में इससे जुड़ी मानसिक या आध्यात्मिक परेशानियां हों, उन्हें बिना अनुभवी ज्योतिषाचार्य की सलाह के नाग देवता की पूजा नहीं करनी चाहिए. गलत तरीके या भाव से की गई पूजा से हानि भी हो सकती है.

मांसाहार या मद्यपान करने वाले लोग रहें दूर

नाग पंचमी पूर्णतः सात्विक पर्व है. इस दिन मांसाहार, शराब, लहसुन-प्याज आदि का सेवन करना निषेध माना गया है. यदि किसी ने हाल ही में ऐसा आहार लिया है, तो उसे इस दिन पूजा से दूर रहना चाहिए.

नाग पंचमी केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना भी है. यदि आप मन, वचन और कर्म से शुद्ध नहीं हैं या पूजा के नियमों का पालन नहीं कर सकते, तो बेहतर होगा कि पूजा न करें या इसे किसी योग्य व्यक्ति से करवाएं. पूजा में भाव और श्रद्धा की पवित्रता सबसे जरूरी होती है.

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