Navratri 2024 3rd Day: नवरात्रि के तीसरे दिन आज मां चंद्रघंटा की ऐसे करें पूजा, यहां से भेजे बधाइयां
Navratri 3rd Day 2024:मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा का आयोजन शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन किया जाता है. मां दुर्गा के ये स्वरूप अत्यंत आकर्षक माने जाते हैं. आइए जानें कैसे करते हैं मां मां चंद्रघंटा की पूजा
By Shaurya Punj | October 5, 2024 8:31 AM
Navratri 2024 3rd Day, Maa Chandraghanta: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है. देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा का चंद्रघंटा रूप शांति और कल्याण का प्रतीक है. इसी प्रकार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं के मुख से उत्पन्न ऊर्जा से एक देवी का अविर्भाव हुआ. नवरात्रि के तीसरे दिन देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करने की विधि, मंत्र और माता को भोग अर्पित करने के लिए किस सामग्री का उपयोग करना चाहिए, इसके बारे में जानकारी प्राप्त करें.
स्थान का चयन: एक स्वच्छ और शांत स्थान पर पूजा के लिए आसन लगाएं. सामग्री एकत्रित करें: फूल (विशेषकर सफेद फूल) फल (सेब, नाशपाती, या अन्य पसंदीदा फल) मिठाई (किसी भी प्रकार की) धूप, दीपक, और कपूर लाल रंग की चूड़ियां या वस्त्र दीप जलाना: पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और धूप दें. मां का स्मरण: मां चंद्रघंटा की तस्वीर या प्रतिमा के सामने ध्यान लगाएं और उन्हें प्रणाम करें. भोग अर्पित करें: मां को फल और मिठाई अर्पित करें. आरती: पूजा के बाद मां की आरती करें. प्रार्थना: मां से शक्ति, साहस और सफलता की कामना करें.
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ् कवच रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने. श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्घ बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धरं बिना होमं. स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकमघ कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च.
मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
मां चंद्रघंटा की कृपा से व्यक्ति को ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखद दांपत्य जीवन की प्राप्ति होती है. विवाह में आने वाली बाधाएं समाप्त हो जाती हैं.
मां चंद्रघंटा का प्रिय रंग
मां चंद्रघंटा की आराधना करते समय सुनहरे या पीले रंग के कपड़े पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है.
मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग
मां चंद्रघंटा को केसर की खीर और दूध से निर्मित मिठाई का भोग अर्पित करना आवश्यक है. इसके अतिरिक्त, पंचामृत, चीनी और मिश्री भी माता रानी को समर्पित की जाती हैं.