Palmistry: अगर हथेली में दिखे जाल का चिह्न, तो करें ये उपाय, बचेंगे हर संकट से

Palmistry: हस्तरेखा विज्ञान में हथेली पर विभिन्न प्रकार के शुभ और अशुभ चिन्हों तथा योगों का उल्लेख किया गया है. ये चिन्ह व्यक्ति के वर्तमान और भविष्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं. विभिन्न व्यक्तियों की हथेलियों में ये चिन्ह भिन्न-भिन्न स्थानों पर पाए जा सकते हैं. हम आपको हथेली में उपस्थित जाल चिन्ह के बारे में जानकारी देंगे कि ये आपके लिए शुभ हैं या नहीं और इनका क्या अर्थ है.

By Shaurya Punj | March 7, 2025 8:45 AM
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Palmistry:  हस्तरेखा विज्ञान में हथेली पर विभिन्न प्रकार के शुभ और अशुभ चिन्हों तथा योगों का उल्लेख किया गया है. ये चिन्ह व्यक्ति के वर्तमान और भविष्य के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं. विभिन्न व्यक्तियों की हथेलियों में ये चिन्ह भिन्न-भिन्न स्थानों पर पाए जा सकते हैं. हम आपको हथेली में उपस्थित जाल चिन्ह के बारे में जानकारी देंगे कि ये आपके लिए शुभ हैं या नहीं और इनका क्या अर्थ है.

शुभ नहीं ऐसे निशान

हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार, हथेली पर उपस्थित जाल का कोई भी निशान व्यक्ति के लिए शुभ नहीं माना जाता है. यदि किसी के हाथ में मणिबंध रेखा पर जाल का चिह्न है, तो ऐसे व्यक्तियों को जीवन में उन्नति प्राप्त करने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इसके बावजूद, कभी-कभी वे उन्नति नहीं कर पाते हैं और उन्हें किसी भी कार्य में निराशा का अनुभव होता है.

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शनि पर्वत पर जाल

यदि किसी जातक के शनि पर्वत पर जाल का निशान उपस्थित है, तो यह अशुभ संकेत माना जाता है. इस प्रकार के निशान का अर्थ है कि जातक में आलस्य की प्रवृत्ति हो सकती है और उसे विभिन्न कार्यों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे व्यक्तियों को हमेशा सक्रिय रहने का प्रयास करना चाहिए.

केतु पर्वत पर जाल

इसी प्रकार, केतु पर्वत पर जाल का निशान होने से जातक को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे व्यक्तियों को विभिन्न प्रकार के रोगों का सामना करने की संभावना रहती है.

करना पड़ता है कठिनाइयों का सामना

मणिबंध रेखा पर जाल का निशान होने से व्यक्ति को अपने कार्यों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. चाहे वह नौकरी में हो या व्यवसाय में, ऐसे जातकों को प्रगति में रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है. जिन लोगों के हाथ में यह निशान है, उन्हें तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए और अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. इसके अतिरिक्त, उन्हें अपने इष्टदेव की पूजा और उपासना करनी चाहिए.

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