पापमोचनी एकादशी 2025 का व्रत करेगा सारे पापों का नाश, जानें शुभ तिथि और पूजा विधि

Papmochini Ekadashi 2025: हर वर्ष चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचिनी एकादशी का आयोजन किया जाता है. इस दिन श्रीहरि विष्णु की आराधना के साथ-साथ माता तुलसी की पूजा करने से व्यक्ति को आर्थिक कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है.

By Shaurya Punj | March 19, 2025 9:25 AM
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Papmochini Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी होली के बाद और चैत्र नवरात्रि से पूर्व आने वाली एक महत्वपूर्ण तिथि है. यह हिंदू पंचांग की अंतिम एकादशी मानी जाती है. इस दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति अपने जीवन में किए गए पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है. “पापमोचनी” शब्द दो भागों से मिलकर बना है – “पाप”, जिसका अर्थ है अधर्म या बुरे कार्य, और “मोचनी”, जिसका अर्थ है जो उन्हें समाप्त कर सके. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और सच्चे मन से प्रायश्चित करने से सबसे गंभीर पाप भी क्षमा किए जा सकते हैं, जिसमें ब्रह्म हत्या जैसे महापाप भी शामिल हैं.

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Papmochini Ekadashi 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तारीख: 25 मार्च 2025 (मंगलवार)
  • एकादशी तिथि आरंभ: 25 मार्च को सुबह 5:05 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 26 मार्च को सुबह 3:45 बजे

भगवान विष्णु की पूजा का शुभ समय

सुबह 9:22 बजे से दोपहर 1:57 बजे तक

व्रत पारण (व्रत खोलने का समय)

26 मार्च को दोपहर 1:39 बजे से 4:06 बजे तक

इस दिन कौन-कौन से नियम और विधियां अपनानी चाहिए?

  • एकादशी का व्रत रखें: इस दिन व्रत करने से मान्यता है कि पितरों को मोक्ष मिलता है और पूर्वजन्म के पापों का प्रभाव कम होता है.
  • भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की आराधना करें: विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और तुलसी के पत्ते अर्पित करें.
  • दान और पुण्य का कार्य करें: इस दिन भोजन, वस्त्र और जरूरतमंदों की सहायता करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है.
  • सात्विक आहार लें: यदि आप व्रत नहीं रख रहे हैं, तो भी इस दिन हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए.

पापमोचनी एकादशी का महत्व

भगवान विष्णु ने इस दिन दानव “पाप” का विनाश किया, जिससे उनके अनुयायी पापों के भार से मुक्त हो सके. पद्म पुराण में एक कथा वर्णित है, जिसमें राजा मंदाता अपने पापों के कारण अत्यंत दुखी थे. उन्होंने ऋषि वशिष्ठ से मार्गदर्शन प्राप्त किया, जिन्होंने उन्हें पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी. इस व्रत के प्रभाव से राजा के सभी पाप समाप्त हो गए और उनका राज्य पुनः समृद्ध हो गया. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इस दिन की महिमा के बारे में बताया और कहा कि इस व्रत के पालन से सबसे गंभीर पाप भी समाप्त हो जाते हैं.

क्यों करें पापमोचनी एकादशी का व्रत?

  • पुराने बुरे कर्मों से छुटकारा मिलता है.
  • मन और आत्मा शुद्ध होती है.
  • पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
  • जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

इसलिए, अगर आप बीते हुए समय में किए गए पापों को धोना चाहते हैं और एक नए, सकारात्मक जीवन की शुरुआत करना चाहते हैं, तो पापमोचनी एकादशी का व्रत और पूजा जरूर करें.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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