– शाम के समय शिव पूजा और अभिषेक करें
प्रदोष व्रत की पूजा का सबसे उत्तम समय संध्या बेला यानी सूर्यास्त के आसपास का होता है. इस समय भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है
उपाय
बेलपत्र, दूध, गंगाजल, शहद और दही से शिवलिंग का अभिषेक करें.
“ओम नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जप करें.
– व्रत रखकर संयम और नियम का पालन करें
प्रदोष व्रत में उपवास का विशेष महत्व है. यह न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि आत्मा को भी शांति देता है.
उपाय
दिनभर फलाहार करें और तामसिक भोजन से दूर रहें.
व्रत के साथ मौन, ध्यान और साधना करें।
– शिव-पार्वती का संयुक्त पूजन करें
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है. इससे दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है.
उपाय:
लाल और सफेद फूल चढ़ाएं, दीप और धूप से आरती करें.
“ओम पार्वतीपतये नमः” मंत्र का जाप करें.
– जरूरतमंदों को दान करें वस्त्र और भोजन
व्रत के साथ दान करना पुण्य को कई गुना बढ़ा देता है.
उपाय
किसी गरीब या ब्राह्मण को वस्त्र, फल, भोजन या दक्षिणा दें.
गौसेवा करें और अनाथ बच्चों को अन्न दान दें।
– शिव मंदिर जाकर रात्रि जागरण और भजन करें
प्रदोष व्रत की रात को जागरण और भजन-कीर्तन करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
शिव चालीसा, रुद्राष्टक और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें.
परिवार सहित भक्ति में लीन होकर रात्रि जागरण करें.
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प्रदोष व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और शिव भक्ति का पर्व है. यदि इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक ये शुभ कार्य किए जाएं, तो भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होकर अपने भक्तों को कृपा, शक्ति और समृद्धि से भर देते हैं.