– शुभ मुहूर्त में रक्षा सूत्र बांधना और पूजा करें
रक्षा बंधन में रक्षाबंधन का श्रावण पूर्णिमा तिथि अत्यंत शुभ मानी जाएगी। इस दिन भद्राकाल समाप्ति के बाद शुभ मुहूर्त में बहनें भाई को राखी बांधें. रक्षा सूत्र बांधने से पहले रोली, अक्षत, दीपक, मिठाई और जल से थाली सजाएं. थाली को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में रखें और पहले भगवान गणेश एवं श्रीकृष्ण का ध्यान करें.
– आरती और रक्षा मंत्र का उच्चारण करें
राखी बांधने से पहले बहन को भाई की घी का दीपक जलाकर आरती करनी चाहिए और निम्न रक्षा मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:
“येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः
तेन त्वां प्रतिबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल”
यह मंत्र नेगेटिव एनर्जी से रक्षा, लंबी उम्र और आत्मिक सुरक्षा का प्रतीक है.
– कुंकुम और अक्षत से तिलक लगायें
कुंकुम और चावल से तिलक करना भाई के मस्तक पर आशीर्वाद और शुभता का संकेत होता है. यह तिलक सौभाग्य, ऊर्जा और समृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है.
– मिठाई और पंचामृत बांटे
पूजन के बाद भाई को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल) का एक चम्मच पिलाएं और उसके बाद मिठाई खिलाएं. यह प्रक्रिया भाई के लिए शुद्धता, आरोग्य और दिव्यता का प्रतीक है.
– विशेष प्रार्थना और श्रीकृष्ण स्तुति
रक्षा बंधन पर बहन को भाई की उन्नति के लिए मन ही मन श्रीकृष्ण से प्रार्थना करनी चाहिए:
“गोविंद, गोकुलनाथ, माधव, मेरे भाई के जीवन में सुख, समृद्धि और सत्संग का वास हो”
इस दिन गायत्री मंत्र या विष्णु सहस्रनाम का जप करना भी शुभ माना जाता है.
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रक्षा बंधन का पर्व केवल एक रक्षासूत्र तक सीमित नहीं, यह एक आध्यात्मिक साधना है जिसमें बहन, भाई के जीवन में ईश्वरीय आशीर्वाद, सकारात्मक ऊर्जा और संस्कारों का संचार करती है. यदि इन पूजन विधियों को श्रद्धा और विश्वास से किया जाए, तो भाई का भविष्य न केवल सुरक्षित, बल्कि प्रकाशमय बनता है.