– “करारविन्देन पदारविन्दं…”
श्लोक:
करारविन्देन पदारविन्दं
मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि
महत्त्व:
यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप का स्मरण है. इसे सोने से पहले पढ़ने से मन शांत होता है और ह्रदय में ईश प्रेम का भाव उत्पन्न होता है. यह नींद में दिव्यता का संचार करता है.
– “शांताकारं भुजगशयनं…”
श्लोक:
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्
महत्त्व:
यह श्लोक भगवान विष्णु की स्तुति है. इसका जप रात्रि में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और जीवन में संतुलन और रक्षा प्रदान करता है.
– “त्वमेव माता च पिता त्वमेव…”
श्लोक:
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वं मम देव देव
महत्त्व:
यह श्लोक पूर्ण समर्पण का प्रतीक है. रात्रि में इसका पाठ करके व्यक्ति अपने जीवन के सारे भार ईश्वर को समर्पित करता है, जिससे मानसिक हल्कापन और शांति मिलती है.
– “राम रामेति रामेति…”
श्लोक:
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने
महत्त्व:
यह श्लोक विष्णु सहस्त्रनाम के बराबर पुण्य देने वाला माना गया है. सोने से पहले इसका जप करने से पापों का क्षय होता है और आत्मा को शांति मिलती है.
– “अभिरामि स्तोत्रं / शिवपंचाक्षरी मंत्र”
“ओम नमः शिवाय”
महत्त्व
पंचाक्षरी मंत्र से रात्रि का समापन करने से न केवल आत्मा को विश्रांति मिलती है, बल्कि यह रक्षा कवच के रूप में भी कार्य करता है. नींद के दौरान यह मंत्र चेतना को प्रभु से जोड़े रखता है.
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रात्रि केवल विश्राम का समय नहीं, बल्कि आत्मिक बल और आंतरिक शांति को पुनः जाग्रत करने का अवसर है. सोने से पहले इन पवित्र श्लोकों का पाठ करने से मन, शरीर और आत्मा में दिव्यता का संचार होता है और जीवन में संतुलन व सुख-शांति बनी रहती है.