Sawan 2025 Mangala Gauri Vrat: सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के साथ-साथ माता पार्वती की उपासना का भी विशेष समय माना जाता है। जहां सावन के सोमवार को शिवजी की पूजा की जाती है, वहीं मंगलवार को माता गौरी को समर्पित मंगल गौरी व्रत रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से अविवाहित कन्याओं और विवाहित महिलाओं द्वारा श्रद्धा के साथ किया जाता है.
मंगल गौरी व्रत का धार्मिक महत्व
माना जाता है कि जो कन्याएं आदर्श जीवनसाथी की कामना से इस व्रत को करती हैं, उन्हें भगवान शिव जैसे वर की प्राप्ति होती है। वहीं विवाहित महिलाएं इस व्रत के जरिए अपने पति की लंबी उम्र, सुख-शांति और वैवाहिक जीवन में सौहार्द की कामना करती हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष हो, तो इस व्रत से उसका प्रभाव भी कम होता है.
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एक प्रेरणादायक कथा
प्रचलित कथा के अनुसार, धर्मपाल नामक व्यापारी के पुत्र की मृत्यु सोलहवें वर्ष में सर्पदंश से होने की भविष्यवाणी हुई थी। उसकी पत्नी ने विवाह से पहले ही मंगल गौरी व्रत शुरू कर दिया था। उसकी भक्ति और व्रत के प्रभाव से न केवल उसका पति दीर्घायु हुआ, बल्कि सर्पदंश से भी उसकी रक्षा हुई। तब से यह व्रत और भी प्रभावशाली माना जाता है.
मंगल गौरी व्रत 2025 की तिथियां
- पहला व्रत – 15 जुलाई 2025
- दूसरा व्रत – 22 जुलाई 2025
- तीसरा व्रत – 29 जुलाई 2025
- चौथा व्रत – 5 अगस्त 2025
व्रत करने की विधि
- प्रातः स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें.
- व्रत का संकल्प लें (जैसे शीघ्र विवाह या पति की दीर्घायु).
- माता गौरी को लाल फूल, चुनरी, सोलह श्रृंगार, सुपारी, कुमकुम और लड्डू अर्पित करें.
- मंगल गौरी व्रत कथा पढ़ें.
- सोलह श्रृंगार किसी सौभाग्यवती स्त्री को दान दें.
- 11 दीपक जलाकर कच्चे चावल पर रखें और माता को अर्पण करें.
विशेष जानकारी के लिए संपर्क करें:
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594 / 9545290847