Shani Pradosh Vrat 2025 पर जरूर सुनें ये कथा

Shani Pradosh Vrat Katha 2025: शनि प्रदोष व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती और शनिदेव की पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है. इससे परेशानियों से मुक्ति मिलती है. शनि प्रदोष के दिन शिव पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ किया जाता है. यहां शनि प्रदोष व्रत कथा पढ़ें-

By Shaurya Punj | May 24, 2025 7:37 AM
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Shani Pradosh Vrat Katha in Hindi: आज 24 मई 2025 को मई का अंतिम प्रदोष व्रत है. शनिवार को प्रदोष व्रत होने पर इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, साथ ही इस व्रत के माध्यम से शनि दोष से भी मुक्ति मिलती है. हालांकि, शनि प्रदोष व्रत के दिन इस कथा का पाठ करने से व्रत का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त होता है. पढ़ें शनि प्रदोष व्रत की संपूर्ण कथा.

शनि प्रदोष व्रत कथा

एक निर्धन ब्राह्मण की पत्नी दरिद्रता से परेशान होकर शांडिल्य ऋषि के पास गई और बोली- हे महामुने! मैं अत्यंत दुखी हूं, कृपया मुझे दुख निवारण का उपाय बताएं. मेरे दोनों पुत्र आपकी शरण में हैं. मेरे बड़े पुत्र का नाम धर्म है, जो एक राजपुत्र है, और छोटे पुत्र का नाम शुचिव्रत है. इसलिए हम दरिद्र हैं, आप ही हमारा उद्धार कर सकते हैं. यह सुनकर ऋषि ने शिव प्रदोष व्रत करने का निर्देश दिया. तीनों प्राणी प्रदोष व्रत करने लगे. कुछ समय बाद प्रदोष व्रत आया, तब तीनों ने व्रत का संकल्प लिया.

Shani Pradosh Vrat 2025 में शिवजी की कृपा पाने के लिए पढ़ें यह चालीसा

छोटा लड़का जिसका नाम शुचिव्रत था, एक तालाब पर स्नान करने गया. मार्ग में उसे स्वर्ण कलश मिला, जो धन से भरा हुआ था. वह उसे लेकर घर आया. प्रसन्न होकर माता ने कहा, “मां, यह धन मुझे मार्ग में मिला है.” माता ने धन देखकर शिव महिमा का वर्णन किया. राजपुत्र को अपने पास बुलाकर बोली, “देखो पुत्र, यह धन हमें शिव जी की कृपा से प्राप्त हुआ है. अत: प्रसाद के रूप में तुम दोनों पुत्र आधा-आधा बांट लो.” माता का वचन सुनकर राजपुत्र ने शिव-पार्वती का ध्यान किया और बोला, “पूज्य, यह धन आपके पुत्र का है, मैं इसका अधिकारी नहीं हूं. मुझे शंकर भगवान और माता पार्वती जब देंगे, तब लूंगा.” इतना कहकर वह राजपुत्र शंकर जी की पूजा में लग गया. एक दिन दोनों भाइयों ने प्रदेश भ्रमण का विचार किया.

Shani Pradosh Vrat 2025 आज, यहां से जानें किस शुभ मुहूर्त में करें पूजा 

हे रुद्रदेव शिव नमस्कार.
शिवशंकर जगगुरु नमस्कार..
हे नीलकंठ सुर नमस्कार.
शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार..
हे उमाकांत सुधि नमस्कार.
उग्रत्व रूप मन नमस्कार..
ईशान ईश प्रभु नमस्कार.
विश्‍वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार..

दोनों साधु से आशीर्वाद लेकर तीर्थयात्रा के लिए आगे बढ़ गए. तीर्थयात्रा से लौटने के बाद सेठ और सेठानी ने मिलकर शनि प्रदोष व्रत किया, जिसके प्रभाव से उनके घर एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ और उनके जीवन में खुशियों की भरमार हो गई.

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