– अपवित्र मन और आचरण के साथ स्नान न करें
कुंभ स्नान केवल शारीरिक शुद्धि नहीं है, यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है. यदि कोई व्यक्ति क्रोध, ईर्ष्या, काम, मोह या अहंकार जैसी नकारात्मक भावनाओं के साथ डुबकी लगाता है, तो उसका स्नान निष्फल हो सकता है. मन, वचन और कर्म से शुद्ध होकर ही गंगा या क्षिप्रा जैसी पुण्य नदियों में स्नान करना चाहिए.
– नदी के जल का अपमान या अपवित्र न करें
सिंहस्थ में स्नान करने वाली नदियों को माता का दर्जा प्राप्त है. इसलिए वहां साबुन, शैम्पू या केमिकल युक्त वस्तुओं का प्रयोग करना पाप के समान है. नदियों को प्रदूषित करना न केवल धार्मिक रूप से अनुचित है, बल्कि प्रकृति और समाज के प्रति भी एक गंभीर अपराध है.
– दिखावे या केवल फोटो खिंचवाने के उद्देश्य से न जाएं
कुछ लोग केवल दिखावे के लिए या सोशल मीडिया पर फोटो डालने के लिए कुंभ स्नान करते हैं. धार्मिक कार्यों में आत्मा की भक्ति और श्रद्धा होनी चाहिए, न कि दिखावा. पुण्य तभी मिलता है जब कर्म निष्काम और ईश्वर की भक्ति से प्रेरित हो.
– किसी साधु-संत या श्रद्धालु का अपमान न करें
कुंभ मेला संतों, महात्माओं और साधकों की संगति का अवसर भी होता है. वहां किसी की वेशभूषा, भाषा या साधना का मज़ाक उड़ाना भारी पाप माना जाता है. सभी को आदर और विनम्रता से देखना चाहिए क्योंकि हर आत्मा में परमात्मा का वास होता है.
– अनुशासन और मर्यादा का उल्लंघन न करें
कुंभ एक धार्मिक आयोजन है, कोई सामान्य मेला नहीं. वहां अशोभनीय व्यवहार, ऊंची आवाज में बात करना, अशुद्ध वस्त्रों में आना, या भीड़ में धक्का-मुक्की करना धर्म विरुद्ध आचरण है. संयम, धैर्य और मर्यादा ही सच्चे भक्त की पहचान होती है.
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सिंहस्थ कुंभ में स्नान करना एक दुर्लभ और पुण्यदायी अवसर है. यदि इसे श्रद्धा, शुद्धता और धार्मिक अनुशासन के साथ किया जाए, तो यह जन्मों के बंधन काट सकता है और मोक्ष के द्वार खोल सकता है. इन बातों का ध्यान रखकर ही कुंभ स्नान को पूर्ण फलदायी बनाया जा सकता है.