सीता नवमी पर ऐसे करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, विधि और मंत्र
Sita Navami 2025: हिंदू धर्म में सीता नवमी का अत्यधिक महत्व है. ग्रंथों के अनुसार, इस दिन माता सीता का प्रकट होना हुआ था. इसलिए, इस तिथि को सीता नवमी या जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान राम और माता सीता की पूजा करने वाले की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
By Shaurya Punj | May 6, 2025 5:05 AM
Sita Navami 2025: आज सीता नवमी 2025 का उत्सव मनाया जा रहा है, जो हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन माता सीता का प्रकट होना हुआ था, इसलिए इसे सीता नवमी या जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर विधिपूर्वक भगवान राम और माता सीता की पूजा करने से सभी रोग और शोक दूर होते हैं और 16 महान दान का पुण्य फल प्राप्त होता है. सीता माता को त्रेतायुग की सबसे पवित्र, त्यागमयी और संयमशील स्त्रीत्व की प्रतीक माना जाता है. आइए, हम सीता नवमी के महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त के बारे में जानते हैं.
सीता नवमी पर बन रहा है शुभ योग
पंचांग के अनुसार, आज वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जो रात 12:20 बजे तक रहेगा. रवि योग दोपहर 2:01 बजे से 6 मई की सुबह 05:36 बजे तक रहेगा. कई जगहों पर सीता जन्मोत्सव का पर्व 5 मई दिन सोमवार को मनाया गया, तो कई स्थानों में आज सीता नवमी मनाई जा रही है.
नवमी तिथि का प्रारंभ – 5 मई, सुबह 7 बजकर 35 मिनट से नवमी तिथि का समापन – 6 मई, सुबह 8 बजकर 39 मिनट तक
सीता नवमी पर पूजा विधि
सुबह स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लें. सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक करें. मां दुर्गा, माता सीता और भगवान श्रीराम की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप जलाएं. पुष्प, धूप, फल-फूल और नैवेद्य अर्पित करें. माता सीता की कथा और रामायण का पाठ करें. भोग लगाएं. आरती करें. कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें उपहार दें. क्षमा प्रार्थना करें.