Solah Somvar Fasting during Periods: जब सोलह सोमवार व्रत के दिन आएं पीरियड्स, जानें इस दौरान पूजा और उपवास रखें या नहीं

Solah Somvar Fasting during Periods: सोलह सोमवार व्रत शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है, लेकिन जब व्रत के दिन पीरियड्स आ जाएं तो कई महिलाएं उलझन में पड़ जाती हैं. क्या इस दौरान पूजा करना उचित है? उपवास रखा जा सकता है या नहीं? जानिए धर्मशास्त्रों के अनुसार इसका संतुलित समाधान.

By Shaurya Punj | July 16, 2025 10:46 AM
an image

Solah Somvar Fasting during Periods: सावन का महीना भगवान शिव की उपासना का श्रेष्ठ समय माना जाता है. इस दौरान अनेक महिलाएं और कन्याएं सोलह सोमवार का व्रत रखती हैं, ताकि उन्हें जीवन में सुख-शांति, उत्तम जीवनसाथी और वैवाहिक समृद्धि प्राप्त हो सके. लेकिन अक्सर यह प्रश्न सामने आता है—अगर व्रत के दौरान पीरियड्स (मासिक धर्म) आ जाएं, तो पूजा कैसे करें? क्या व्रत को जारी रखना उचित होगा?

धर्म और परंपरा की दृष्टि से

सनातन धर्म में मासिक धर्म को अशुद्ध नहीं, बल्कि प्राकृतिक विश्राम का समय माना गया है. स्कंद पुराण, मनुस्मृति जैसे ग्रंथों में भी यह स्पष्ट किया गया है कि इस अवधि में स्त्रियों को पूजा-पाठ से मुक्त रखकर उन्हें मानसिक और शारीरिक आराम की अनुमति दी जानी चाहिए. यह निषेध किसी प्रकार का भेदभाव नहीं, बल्कि एक सहज और स्नेहपूर्ण व्यवस्था है.

 सावन में ब्रह्मचर्य पालन है विशेष फलदायक, इस माह में संयम का है विशेष धार्मिक महत्व

व्रत का पालन इन दिनों कैसे करें?

यदि व्रत के दिन मासिक धर्म शुरू हो जाए, तो भी व्रत छोड़ा नहीं जाता. पूजा के शारीरिक कर्मों से दूर रहते हुए आप आंतरिक भक्ति बनाए रख सकते हैं:

  • मन ही मन “ॐ नमः शिवाय” का जप करें.
  • शिव व्रत कथा ऑडियो माध्यम से सुनें या स्मरण करें.
  • व्रत में फलाहार या सात्विक आहार लेकर संयम बनाए रखें.
  • जब आप शुद्ध हो जाएं, तो संकल्पपूर्वक छोड़ी गई पूजा बाद में करें.

भगवान शिव श्रद्धा और भावना के भूखे हैं, शरीर की सीमाओं से ऊपर हैं. यदि सोलह सोमवार व्रत के दौरान मासिक धर्म हो, तो घबराएं नहीं. आप मन, वचन और संकल्प के साथ व्रत जारी रख सकते हैं. यही सच्ची भक्ति और आस्था की पहचान है, जिसे भोलेनाथ अवश्य स्वीकार करते हैं.

डिसक्लेमर (Disclaimer): यह लेख धार्मिक मान्यताओं, शास्त्रों में वर्णित परंपराओं और सामाजिक दृष्टिकोण पर आधारित है. मासिक धर्म एक प्राकृतिक और जैविक प्रक्रिया है, जिसे विज्ञान में अस्वस्थता नहीं माना गया है. व्रत, उपवास या पूजा संबंधित निर्णय व्यक्ति की श्रद्धा, मानसिक स्थिति और शारीरिक स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं. यदि आप किसी भी प्रकार की असुविधा महसूस करती हैं, तो कृपया चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें. हमारा उद्देश्य किसी की आस्था को ठेस पहुंचाना नहीं, बल्कि विषय को संतुलित दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना है. धार्मिक या वैयक्तिक मान्यताओं में अंतर संभव है, कृपया इसे सहिष्णुता के साथ देखें.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version