Surya Dev : रविवार को क्यों देते हैं सूर्य देवता को जल

Surya Dev : हिंदू धर्म में सूर्य देवता को प्रत्यक्ष देवता माना गया है, जिन्हें देखा और अनुभव किया जा सकता है. वे जीवन, एनर्जी और स्वास्थ्य के स्रोत हैं.

By Ashi Goyal | May 11, 2025 6:30 AM
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Surya Dev : हिंदू धर्म में सूर्य देवता को प्रत्यक्ष देवता माना गया है, जिन्हें देखा और अनुभव किया जा सकता है. वे जीवन, एनर्जी और स्वास्थ्य के स्रोत हैं. विशेष रूप से रविवार को सूर्य देव को जल अर्पित करने की परंपरा बहुत प्राचीन है, जिसका धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक आधार भी है. इसके पीछे के प्रमुख कारण प्रस्तुत किए गए हैं:-

– सूर्य भगवान का दिन – रविवार का विशेष महत्व

हिंदू सप्ताह की गणना में रविवार को सूर्य देव का दिन माना जाता है. यह दिन विशेष रूप से उनके पूजन और अर्चना के लिए समर्पित होता है. शास्त्रों में वर्णित है कि रविवार के दिन प्रातःकाल स्नान कर, तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, रोली, अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत पुण्यकारी होता है. इससे जीवन में तेज, यश और बल की प्राप्ति होती है.

– आध्यात्मिक शुद्धि एवं आत्मा की जागृति

सूर्य को जल अर्पित करना आत्मा की जागृति और चित्त की शुद्धि का प्रतीक है. यह साधक को आंतरिक ऊर्जा से जोड़ता है और मानसिक एकाग्रता में वृद्धि करता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव – तीनों शक्तियों का प्रतीक हैं, अतः उन्हें जल देना त्रिदेव की आराधना के समान माना गया है.

– पापों का नाश एवं ग्रह दोषों की शांति

ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को आत्मा और आत्मबल का कारक माना गया है. यदि कुंडली में सूर्य नीच या पीड़ित हो, तो रविवार को सूर्य को जल चढ़ाने से दोष शमन होता है. यह पितृ दोष, रोग और दुर्भाग्य को भी दूर करता है. ‘आदित्य ह्रदय स्तोत्र’ का पाठ और जलार्पण करने से विशेष लाभ होता है.

– दीर्घायु की प्राप्ति

सूर्य स्वास्थ्य के देवता माने गए हैं. उनके किरणों में रोगनाशक शक्ति होती है. सूर्य को जल अर्पित करने से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है और दृष्टि तेज होती है. धार्मिक दृष्टि से यह भी कहा गया है कि सूर्य को जल चढ़ाने से संतान सुख और रोगमुक्त जीवन की प्राप्ति होती है.

– धर्म, श्रद्धा और नियमितता का प्रतीक

सप्ताह में एक दिन सूर्य की उपासना हमें धर्म के प्रति निष्ठा और नियमितता सिखाती है. यह व्यक्ति में अनुशासन और आंतरिक संतुलन लाता है. वेदों में भी कहा गया है – “सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्” – अर्थात सूर्य देव जीवन में गति, प्रकाश और संतुलन के दाता हैं.

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