Vat Purnima Vrat 2025 इस दिन रखें और जानें शुभ मुहूर्त समेत पूजा विधि

Vat Purnima Vrat 2025: हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत बड़ी श्रद्धा और आस्था से मनाया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं और अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. व्रत के दौरान महिलाएं पारंपरिक वस्त्र पहनकर 16 श्रृंगार करती हैं और वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा कर मौली लपेटती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत से पति को दीर्घायु और विवाह को स्थिरता मिलती है.

By Samiksha Singh | May 27, 2025 8:42 PM
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Vat Purnima Vrat 2025: विवाहित महिलाओं के लिए वट पूर्णिमा का दिन बहुत ही खास होता है. यह न सिर्फ एक धार्मिक पर्व है, बल्कि आस्था, प्रेम और विश्वास का प्रतीक भी है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं और वट (बरगद) के पेड़ की पूजा करती हैं. 2025 में यह पर्व फिर से महिलाओं की श्रद्धा और समर्पण का सजीव उदाहरण बनेगा.

Vat Purnima Vrat 2025 कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 में वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत 10 जून को रखा जाएगा. इस दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि सुबह 11:35 मिनट से शुरू होकर 11 जून दोपहर 01:13 मिनट तक रहेगी. हालांकि, व्रत और पूजा 10 जून को ही की जाएगी, और 11 जून को स्नान-दान जैसे पुण्य कर्म किए जाएंगे.

व्रट सावित्री पूर्णिमा की पूजा विधि

इस खास दिन की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर स्नान करने से करें. इसके बाद लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें और सुहाग से जुड़े 16 श्रृंगार करें. फिर वट वृक्ष (बरगद का पेड़) के पास जाएं, उसकी सफाई करें और जड़ में जल चढ़ाएं.

अब पूजा की थाली में रोली, चावल, फूल, दीपक, मौली और मिठाई रखें. वट वृक्ष की पूजा करने के बाद, उसकी सात बार परिक्रमा करें और हर परिक्रमा में मौली लपेटते हुए अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें. इसके बाद वट वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री-सत्यवान की कथा पढ़ें या सुनें. अंत में वृक्ष की आरती करें और व्रत का पारण दिन ढलने के बाद सात्विक भोजन से करें.

वट पूर्णिमा पूजा मंत्र

पूजा करते समय निम्न मंत्रों का उच्चारण करने से पूजा और भी फलदायी मानी जाती है:

वट सिंचामि ते मूलं सलिलैरमृतोपमैः।
यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मां सदा॥

अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते॥

इन मंत्रों को श्रद्धा और भावना से बोलना चाहिए, ताकि पूजा का प्रभाव गहरा हो और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हो.

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