– अशुद्ध अवस्था में पूजा न करें
व्रत करने वाली स्त्रियों को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए. अशुद्ध या मैले वस्त्रों में पूजा करना वर्जित माना गया है. मानसिक और शारीरिक पवित्रता का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है. रजस्वला स्त्रियों को इस व्रत से दूर रहना चाहिए.
– वट वृक्ष को बिना जल अर्पण किए पूजा न करें
वट वृक्ष की पूजा इस व्रत का मुख्य भाग होती है. बिना जल चढ़ाए या बिना रक्षा सूत्र बांधे पूजा करना अधूरी मानी जाती है. वट वृक्ष को जल, अक्षत, रोली, फल आदि समर्पित करके उसकी सात बार परिक्रमा करें और मौली बांधें.
– झूठ बोलने और क्रोध करने से बचें
इस पावन व्रत में व्रती स्त्रियों को सत्य बोलना, मधुर वाणी बोलना, और विनम्र आचरण रखना चाहिए. झूठ, छल, कपट, और क्रोध जैसे नकारात्मक भाव इस दिन वर्जित होते हैं. इससे व्रत की शक्ति क्षीण होती है.
– खान-पान में लापरवाही न करें
व्रतधारिणी को पूरे दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखना चाहिए. कुछ लोग व्रत के नाम पर दिन में बार-बार फलाहार करते हैं या तामसिक भोजन कर लेते हैं, जो कि व्रत की पवित्रता को भंग कर देता है. केवल सात्विक भोजन ही स्वीकार्य है, वह भी सूर्यास्त के बाद.
– वट वृक्ष की जड़ को लात या अपवित्र वस्तु से न छुएं
वट वृक्ष में त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना गया है. इसकी जड़ को लात मारना, कचरा डालना या अपवित्र वस्तु से छूना बड़ा पाप माना जाता है. पूजा के समय विशेष ध्यान दें कि संपूर्ण आचरण श्रद्धा और भक्ति भाव से युक्त हो.
यह भी पढ़ें : Vat Savitri Purnima 2025 का पहली बार रख रहे हैं, तो इन बातों का रखें ध्यान
यह भी पढ़ें : Astro Tips For Married Women: शादीशुदा महिलाओं को ध्यान में रखनी चाहिए ये बातें, वैवाहिक रिश्ते के लिए है शुभ
यह भी पढ़ें : Mangala Gauri Vrat 2025 : सुहागिनों का बेहद महत्वपूर्ण व्रत, जानें मंगला गौरी व्रत की संपूर्ण पूजा विधि
वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह पतिव्रता धर्म, आत्मसंयम और आस्था का प्रतीक है. यदि सही विधि और श्रद्धा से किया जाए, तो यह व्रत जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य लाता है.