क्या पीरियड्स में वट सावित्री व्रत रखा जा सकता है? जानें धार्मिक नियम और मान्यता

Vat Savitri Vrat 2025: कई बार पूजा-पाठ के दिन मासिक धर्म शुरू हो जाता है, ऐसे में उपवास रखना चाहिए या नहीं, और क्या इससे पूर्ण फल प्राप्त होगा, जैसे कई प्रश्न मन में उठते हैं. आइए, हम आपको बताते हैं कि मासिक धर्म के दौरान वट सावित्री का व्रत करना चाहिए या नहीं.

By Shaurya Punj | May 13, 2025 1:08 PM
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Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जिसमें बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है और विवाहित महिलाएं उपवास करती हैं. यह उपवास पति की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है और वट वृक्ष की पूजा करके अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. बरगद की पूजा की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और मान्यता है कि यह व्रत सबसे पहले सावित्री ने किया था, जिन्होंने यमराज से अपने पति का जीवन वापस मांगा था. परंपरागत रूप से इस दिन महिलाएं उपवास करती हैं, वट वृक्ष की पूजा करती हैं और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं. लेकिन एक प्रश्न अक्सर उठता है – क्या महिलाएं मासिक धर्म के दौरान वट सावित्री व्रत रख सकती हैं?

धार्मिक दृष्टिकोण

प्राचीन काल में मासिक धर्म को “अशुद्धता” से संबंधित किया जाता था, जिसके कारण महिलाओं को पूजा-पाठ, मंदिर में प्रवेश और व्रत आदि से दूर रहने की सलाह दी जाती थी. हालांकि, यह धारणा वैदिक धर्मशास्त्रों में स्पष्ट रूप से निषिद्ध नहीं है, बल्कि यह सामाजिक रीति-नीति और परंपराओं पर निर्भर करती है.

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आधुनिक दृष्टिकोण

वर्तमान समय में अनेक विद्वान और धार्मिक नेता यह मानते हैं कि माहवारी एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है, न कि कोई अशुद्धता. इसलिए, यदि कोई महिला पीरियड्स के दौरान उपवास रखना चाहती है, तो उसे ऐसा करने से नहीं रोका जाना चाहिए. मानसिक श्रद्धा और विश्वास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

पीरियड्स के दौरान व्रत करें या नहीं

मासिक धर्म के समय सुहागिन महिलाएं वट सावित्री का व्रत कर सकती हैं. इस दिन प्रातः स्नान करके 16 सिंगार करके महिलाएं भगवान को प्रणाम करें. हालांकि, इस दौरान पूजा की सामग्री को न छूएं. इसके बजाय, आप पूजा की सामग्री किसी अन्य व्रती महिला को दे सकती हैं और उनके साथ कथा सुन सकती हैं.

वट सावित्री पूजा 2025 शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 26 मई को अमावस्या तिथि का आरंभ दोपहर 12:12 बजे होगा और यह 27 मई को सुबह 8:32 बजे समाप्त होगा. उदयातिथि के अनुसार, यह व्रत 26 मई को आयोजित किया जाएगा.

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