वट सावित्री व्रत कब है 2025 में? जानिए इसका कारण और सही पूजन तरीका

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है. इस व्रत को महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं. वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है. सबसे पहले इस व्रत को राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने अपने पति सत्यवान के लिए किया था.

By Shaurya Punj | April 12, 2025 8:55 AM
an image

Vat Savitri Vrat 2025: क्या आपने कभी किसी प्रेम कहानी को इतना सशक्त होते देखा है कि मौत तक भी हार मान जाए? वट सावित्री व्रत एक ऐसा ही पर्व है, जहाँ एक पत्नी की प्रार्थना यमराज को भी झुका देती है.इस बार ये खास दिन 26 मई 2025, सोमवार को आ रहा है. यह दिन उन सभी सुहागनों के लिए समर्पित है जो अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं.

कब है व्रत और क्या है शुभ समय?

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 26 मई 2025, दोपहर 12:11 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 27 मई 2025, सुबह 8:31 बजे
  • पूजन की तारीख: 26 मई 2025 (सोमवार)
  • सबसे उत्तम पूजन समय: सूर्योदय के बाद का समय शुभ माना गया है.

इस व्रत के पीछे छिपी है अमर प्रेम गाथा

वट सावित्री सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि एक स्त्री की निष्ठा और समर्पण की पहचान है. सावित्री जब अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस लेकर आईं, तब से ये दिन हर स्त्री के लिए प्रेरणा बन गया. यह व्रत बताता है कि सच्चे प्रेम में कितनी ताकत होती है.

Vat Savitri Vrat 2025 की डेट को लेकर कंफ्यूजन करें खत्म

पूजा कैसे करें – सरल विधि

  • प्रभात में उठें और स्नान करके व्रत का संकल्प लें
  • लाल या पीले वस्त्र पहनें, सोलह श्रृंगार करें
  • सात्विक भोजन बनाएं – हलवा, पूरी, चने
  • बरगद के पेड़ की साफ-सफाई करें और पूजा की थाली सजाएं
  • ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश, सूर्य और सावित्री-सत्यवान का आह्वान करें
  • वट वृक्ष पर जल, फूल, चावल, काले तिल आदि अर्पित करें
  • कच्चे सूत से पेड़ की परिक्रमा करें – 7, 21 या 108 बार
  • सावित्री कथा का पाठ करें या श्रवण करें
  • प्रसाद ग्रहण करें और जरूरतमंदों को दान दें

व्रत में इन बातों का रखें ध्यान

  • मांसाहार, लहसुन-प्याज से दूर रहें
  • पूजा के समय एकाग्र और शांत मन रखें
  • यदि स्वास्थ्य कारणों से उपवास संभव न हो, तो केवल पूजा और दान से भी पुण्य मिलता है

रिश्तों को और गहराई से जोड़ता है यह पर्व

26 मई को जब आप बरगद के पेड़ के नीचे बैठें, पूजा करें और मन से प्रार्थना करें, तो जान लीजिए, आप सिर्फ एक रस्म नहीं निभा रहीं, बल्कि अपने रिश्ते को नई ऊर्जा दे रही हैं. इस बार वट सावित्री व्रत को पूरे मन, श्रद्धा और प्रेम से निभाएं क्योंकि यह दिन सिर्फ पति की लंबी उम्र की प्रार्थना नहीं, बल्कि आपके रिश्तों की मजबूती का उत्सव है.

Chaitra Purnima 2025 पर आज करें ये उपाय, पूर्वजों की कृपा से मिलेगा भाग्य का साथ

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version