Vat Savitri Vrat 2025 में न करें ये 5 बड़ी गलतियां, वरना अधूरी रह सकती है तपस्या

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है, लेकिन इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करना बेहद जरूरी होता है. अगर पूजा या व्रत के दौरान कुछ गलतियां हो जाएं, तो इसका पुण्य अधूरा रह सकता है. जैसे गलत रंग पहनना, पूजा में मन की अशुद्धता, झूठ बोलना या बिना पूजा के व्रत तोड़ना – ये सभी कार्य तपस्या को निष्फल बना सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि हम जानें कि किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए, ताकि यह व्रत पूर्ण फलदायक हो.

By Samiksha Singh | May 24, 2025 3:34 PM
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Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत हिन्दू महिलाओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण और आस्था से भरा पर्व होता है. यह व्रत नारी शक्ति, प्रेम और समर्पण की सजीव मिसाल है, जिसकी प्रेरणा देवी सावित्री से मिलती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं.

वट सावित्री व्रत का महत्व

वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है. यह दिन देवी सावित्री के उस संकल्प और शक्ति की याद दिलाता है, जब उन्होंने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस प्राप्त किया था. व्रती महिलाएं वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, क्योंकि इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश – तीनों देवों का प्रतीक माना गया है. यह व्रत पति की दीर्घायु, दांपत्य जीवन की सुख-शांति और पूरे परिवार के कल्याण के लिए रखा जाता है.

वट सावित्री व्रत में ये गलतियां न करें

  • गलत रंगों का प्रयोग न करें: काले, नीले और सफेद रंग के वस्त्र, चूड़ियां, बिंदी या श्रृंगार की चीजें इस दिन पहनने से बचें. यह व्रत सौभाग्य का प्रतीक है, इसलिए शुभ रंगों का ही उपयोग करें.
  • झूठ और अपमान से बचें: व्रत के दिन झूठ बोलना, किसी का दिल दुखाना या अपमान करना व्रत की पवित्रता को भंग कर सकता है.
  • मन में द्वेष या नकारात्मकता न लाएं: व्रत का असली फल तभी मिलता है जब मन और विचार शुद्ध हों. इसलिए क्रोध, ईर्ष्या या द्वेष जैसे भावों से दूर रहें.
  • बिना पूजा के व्रत न तोड़ें: पूजा पूरी होने से पहले व्रत का पारण (समापन) करना अशुभ माना जाता है.
  • तामसिक भोजन से बचें: इस दिन मांसाहार, प्याज, लहसुन जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन न करें.

वट सावित्री व्रत में क्या करें

  • सोलह श्रृंगार करें: यह व्रत अखंड सौभाग्य का प्रतीक है, इसलिए व्रती महिला को पूरी श्रद्धा से सोलह श्रृंगार करना चाहिए.
  • शुभ रंगों का चयन करें: लाल, पीला और हरा – ये तीन रंग इस दिन अत्यंत शुभ माने जाते हैं. लाल या पीली साड़ी, हरी चूड़ियां, लाल बिंदी आदि पहनें.
  • वट वृक्ष की विधिवत पूजा करें: पूजा के समय वट वृक्ष को कच्चे सूत (धागे) से सात बार परिक्रमा करते हुए बांधें. पूजा के बाद देवी सावित्री और वट वृक्ष से सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद लें.
  • व्रत कथा जरूर सुनें: पूजा में सावित्री और सत्यवान की कथा सुनना इस व्रत का प्रमुख हिस्सा है. इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है.
  • भीगे चने से करें पारण: व्रत का समापन यानी पारण भीगे चने खाकर करें. यह एक शुभ परंपरा है जो वर्षों से चली आ रही है.

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