Vat Savitri Vrat 2025: भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के रिश्ते को बेहद पवित्र और अटूट माना गया है. इस रिश्ते की लंबी उम्र और मजबूती के लिए महिलाएं कई व्रत-त्योहार करती हैं, जिनमें वट सावित्री व्रत का स्थान बहुत ऊंचा है. इस दिन महिलाएं माता सावित्री की पूजा करती हैं, जिन्होंने अपने तप और संकल्प से अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाए थे. लेकिन अगर आज के समय में वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ आसानी से न मिले, तो क्या व्रत अधूरा रह जाएगा? बिल्कुल नहीं सही विधि अपनाकर आप बिना वट वृक्ष के भी यह व्रत पूरे श्रद्धा भाव से कर सकती हैं.
बरगद के पेड़ का ये है महत्व
वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ केंद्र में होता है. इसे अक्षय वृक्ष कहा गया है, यानी जो कभी नष्ट नहीं होता. इस पेड़ की उम्र बहुत लंबी होती है, और यही कारण है कि महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए इसकी पूजा करती हैं. इस दिन वट वृक्ष की परिक्रमा, धागा बांधना, कथा सुनना और पूजन का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इसी दिन माता सावित्री ने अपने तप से यमराज को परास्त कर अपने पति को जीवनदान दिलाया था.
बरगद न मिले तो क्या करें?
अगर आपके आस-पास बरगद का पेड़ नहीं है, तो घबराने की जरूरत नहीं है. व्रत को श्रद्धा और विधिपूर्वक करने की भावना ही सबसे महत्वपूर्ण है. ऐसे में आप वट सावित्री व्रत से एक दिन पहले किसी जानकार व्यक्ति से बरगद की एक छोटी टहनी या डाली मंगवा लें. उस डाली को साफ कपड़े में लपेटकर पूजा स्थल पर स्थापित करें और उसी की पूजा करें. ऐसा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है.
ना मिले बरगद की टहनी या डाली तो क्या करें?
अगर किसी कारणवश आपको बरगद की टहनी या डाली भी न मिल पाए, तो आप तुलसी के पौधे के समीप बैठकर पूजन कर सकती हैं. तुलसी को भी हिंदू धर्म में पवित्र और सौभाग्य देने वाला माना गया है. व्रत के दौरान आप तुलसी को ही वट वृक्ष का प्रतीक मानकर पूजन करें और माता सावित्री से अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें.
यदि तुलसी का पौधा भी न हो तो कैसे करें पूजा?
अगर आपके घर में तुलसी का पौधा भी उपलब्ध नहीं है, तो आप पूजा के स्थान को पहले गोबर, गंगाजल या हल्दी मिले जल से पवित्र कर लें. फिर उस स्थान पर आटे से सुंदर चौक बनाएं और उस पर कलश स्थापित करें. बाजार से वट सावित्री व्रत की एक पूजा चित्र ले आएं और उसे सामने रखें. पूजा के लिए वहां गौरी-गणेश और नवग्रह के प्रतीक बनाएं और एक नारियल स्थापित करें. इसके बाद व्रत की पूजा विधिपूर्वक करें। इससे भी आपको व्रत का पुण्य और आशीर्वाद मिलेगा.
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