कल विजया एकादशी के दिन तुलसी का माला से  करें जाप, मिलेगा ये शुभफल

Vijaya Ekadashi 2025: इस वर्ष सोमवार, 24 फरवरी 2025 को आ रहा है. इस दिन श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा का विशेष महत्व है. इसके अतिरिक्त, लक्ष्मी नारायण को प्रसन्न करने के लिए विजया एकादशी पर तुलसी की माला से जाप करने से लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है.

By Shaurya Punj | February 23, 2025 8:45 AM
feature

Vijaya Ekadashi 2025: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, विजया एकादशी का व्रत करने से साधक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और उसके जीवन में सुख, समृद्धि तथा खुशहाली का आगमन होता है. पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि भगवान श्रीराम ने रावण को युद्ध में पराजित करने के लिए विजया एकादशी का व्रत किया था.

विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त

फाल्गुन मास की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 फरवरी 2025 को दोपहर 1 बजकर 55 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन 24 फरवरी 2025 को दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर होगा. इस प्रकार, विजया एकादशी का व्रत 24 फरवरी 2025 को आयोजित किया जाएगा.

रविवार के दिन भूलकर भी न खरीदें ये सामान, सूर्य देव हो जाएंगे गुस्सा

विजया एकादशी  पर तुलसी की पूजा अवश्य करें

विजया एकादशी के अवसर पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के साथ तुलसी की पूजा अवश्य करें. इस दिन आप भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं, किंतु यह ध्यान रखें कि मंत्र का जाप तुलसी की माला से ही किया जाए.

विष्णु के मंत्रों का जाप जरूरी

हिंदू धर्म में मंत्रों का जाप करने के लिए विभिन्न प्रकार की मालाओं का उपयोग किया जाता है. विभिन्न देवी-देवताओं के मंत्रों के लिए अलग-अलग मालाएं होती हैं. विशेष रूप से वैष्णव समुदाय तुलसी की माला का उपयोग करके भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करता है.

इस मंत्र का करें 108 बार जाप

विजया एकादशी पर तुलसी की माला से भगवान विष्णु के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का 108 बार जाप करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगे और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलेगी.

जाप आरंभ करने से पूर्व माला को गंगाजल से शुद्ध कर लें. मंत्र का जाप समाप्त करने के बाद, तुलसी की माला को सम्मानपूर्वक अपने माथे से स्पर्श करें और फिर माला को सुरक्षित स्थान पर रखें.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version