– व्रत पूर्व संकल्प और रात्रि जागरण
योगिनी एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण कर, रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए. एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें और उपवास रखें. रात्रि को जागरण कर भगवान का भजन-कीर्तन करें.
– भगवान विष्णु की पूजा
व्रत के दिन भगवान विष्णु के श्रीहरि रूप की विधिवत पूजा करें. पीले पुष्प, तुलसी दल, पंचामृत, धूप-दीप आदि अर्पित करें. विष्णु सहस्त्रनाम, गीता का पाठ और ‘ ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें. भगवान को खीर, फल एवं पंचामृत का भोग लगाएं.
– दान-पुण्य और ब्राह्मण सेवा
इस दिन वस्त्र, अन्न, जल पात्र, दक्षिणा आदि ब्राह्मणों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है. रोग, दरिद्रता और पापों से मुक्ति मिलती है. सेवा भाव से किए गए दान से कई जन्मों के दोष नष्ट होते हैं.
– व्रत के लाभ
स्कंद पुराण के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को भूत, भविष्य और वर्तमान के पापों से मुक्ति मिलती है. इस व्रत का फल कुबेर के रक्षक हेममाली को प्राप्त हुआ था, जिससे वह पुनः स्वर्ग में स्थान प्राप्त कर सका.
– पारण विधि
द्वादशी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में पारण करें. श्रीहरि को जल, फल अर्पित कर व्रत का समापन करें. इस दिन सात्विक भोजन से पारण करना चाहिए, साथ ही दूसरों को भी अन्न व वस्त्र दान करें.
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योगिनी एकादशी व्रत व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है. यह व्रत सभी भक्तों के लिए अत्यंत मंगलकारी एवं कल्याणकारी माना गया है.