वॉन ने ‘द टेलीग्राफ’ में अपने कॉलम में लिखा, ‘‘मैं कई वर्षों से महसूस करता रहा हूं कि टेस्ट क्रिकेट में स्पष्ट चोटों के मामले में स्थानापन्न खिलाड़ी मुहैया कराए जाने चाहिए, जैसा कि हमने ओल्ड ट्रैफर्ड में चौथे टेस्ट में ऋषभ पंत के मामले में देखा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे दिन सुबह पंत को टूटे पैर के साथ बल्लेबाज़ी करते देखना वाकई शानदार अनुभव था. यह अविश्वसनीय साहस था और 28 गेंदों में 17 रन बनाना अद्भुत कौशल था. लेकिन वह बल्लेबाजी के लिए फिट नहीं थे, दौड़ नहीं सकते थे और इससे उनकी चोट और भी गंभीर हो सकती थी.’’
वॉन ने कहा, ‘‘सोचने वाली बात यह है कि उन्हें (पंत को) विकेटकीपर के रूप में सब्स्टिट्यूट की अनुमति दी गई, लेकिन बल्लेबाजी या गेंदबाजी की अनुमति नहीं दी गई. यह सब थोड़ा अजीब और असंगत है. हमारा खेल एकमात्र ऐसा टीम खेल है जिसमें ऐसा होता है और मुझे लगता है कि इससे यह पता चलता है कि क्रिकेट अब भी अंधकार युग में जी रहा है.’’ उनका मानना है कि पुराने नियमों पर अड़े रहने से ‘‘जानबूझकर खेल का प्रभाव कम किया जा रहा है क्योंकि एक टीम को इसके कारण मैच के चार दिनों तक 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ रहा है.’’
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ने कहा, ‘‘यदि किसी खिलाड़ी को नई चोट लगती है, जैसे हड्डी टूटना या मांसपेशियों में इतना अधिक खिंचाव कि वह खेल में आगे भाग नहीं ले सकता. ऐसी चोट जो स्कैन और चिकित्सक द्वारा आसानी से प्रमाणित हो सकती है, तो उसके स्थान पर समान योग्यता रखने वाले खिलाड़ी को सब्स्टिट्यूट के रूप में उतारा जा सकता है जैसा कि कनकशन (सर में चोट लगने पर बेहोशी की स्थिति) के मामले में होता है.’’
ये भी पढ़ें:-
41 की उम्र में एबी डिविलियर्स ने मचाया हाहाकार, 41 गेंद में शतक जड़कर इंग्लैंड को रौंदा, देखें वीडियो
बुमराह के सामने उसकी पिटाई हो रही और गिल खड़े देख रहे, टीम इंडिया की स्ट्रेटजी पर भड़के पोंटिंग
रिटायरमेंट की चर्चा? टीम से ड्रॉप करुण नायर रो पड़े तो बचपन के दोस्त ने दिया सहारा! वायरल हुईं तस्वीरें