IND vs ENG: ड्यूक्स गेंद की होगी समीक्षा, आलोचना के बाद हरकत में आई निर्माता कंपनी

IND vs ENG: भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज में इस्तेमाल की गई ड्यूक्स गेंदों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं. गेंदें अपेक्षा से जल्दी खराब हो रही थीं, जिससे अंपायरों को बार-बार गेंद बदलनी पड़ी. कंपनी ने कहा है कि सभी गेंदों की समीक्षा की जाएगी और जरूरत पड़ने पर निर्माण प्रक्रिया में बदलाव किया जाएगा.

By Aditya Kumar Varshney | July 18, 2025 8:34 PM
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IND vs ENG: भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज के दौरान इस्तेमाल की गई ड्यूक्स गेंदों की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं. खिलाड़ियों और अंपायरों की शिकायतों के बाद ड्यूक्स गेंद बनाने वाली कंपनी ने जांच की बात कही है. इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने भी इस्तेमाल की गई गेंदों को निर्माता को लौटाने का फैसला किया है, ताकि उनकी समीक्षा की जा सके.

ड्यूक्स गेंद की गुणवत्ता पर उठे सवाल

भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले तीन मुकाबलों में उपयोग की गई ड्यूक्स गेंदों की गुणवत्ता पर कई सवाल उठाए गए हैं. खिलाड़ियों की आलोचना के बाद अब ड्यूक्स गेंद की निर्माता कंपनी “ब्रिटिश क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड” ने इस पर गंभीरता से विचार करते हुए गेंदों की समीक्षा करने का फैसला किया है.

भारतीय कप्तान शुभमन गिल और इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड ने विशेष रूप से गेंद की गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई थी. इन खिलाड़ियों के मुताबिक, गेंद अपेक्षा से कहीं जल्दी नरम हो रही थी और इसका असर सीधे मैच की गुणवत्ता और गेंदबाजों के प्रदर्शन पर पड़ा. इस आलोचना के मद्देनज़र इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने यह तय किया कि सीरीज में अब तक उपयोग की गई अधिकतम गेंदों को ड्यूक्स निर्माता कंपनी को वापस भेजा जाएगा.

ड्यूक्स कंपनी के मालिक दिलीप जाजोदिया ने बीबीसी स्पोर्ट्स से बात करते हुए कहा, “हम इन गेंदों को वापस लेंगे, निरीक्षण करेंगे और अपने उत्पादन से जुड़े लोगों से बातचीत करेंगे. अगर हमें किसी भी तरह के सुधार की आवश्यकता महसूस हुई, तो हम आवश्यक कदम जरूर उठाएंगे.”

IND vs ENG: लगातार बदलनी पड़ी गेंदें

इस सीरीज के दौरान एक प्रमुख समस्या यह रही कि अंपायरों को बार-बार गेंदों को बदलना पड़ा. कई बार गेंद महज 30 ओवर के अंदर ही अपनी चमक और कठोरता खो बैठती थी, जिससे गेंदबाजों को स्विंग या बाउंस में दिक्कत आने लगी. इससे मैचों के दौरान कई बार खेल बाधित हुआ और खेल की रफ्तार भी धीमी पड़ी.

टेस्ट मैचों में इस्तेमाल होने वाली गेंदों का चयन आमतौर पर मेज़बान बोर्ड करता है. भारत में जहां एसजी गेंद का उपयोग होता है, वहीं इंग्लैंड में ड्यूक्स और ऑस्ट्रेलिया में कूकाबूरा का प्रयोग किया जाता है. ड्यूक्स गेंद को आमतौर पर उसकी मजबूती, सीम की उभरी बनावट और लंबे समय तक स्विंग बनाए रखने की क्षमता के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन हालिया मामलों में यह प्रतिष्ठा सवालों के घेरे में आ गई है.

लॉर्ड्स टेस्ट के दौरान शुभमन गिल एक नई गेंद से असंतुष्ट दिखे थे, जिसे अंपायरों ने मैच के दूसरे दिन सुबह के पहले घंटे में बदल दिया था. दिलचस्प बात यह रही कि जसप्रीत बुमराह ने पहले से उपयोग की जा रही गेंद से कम ओवरों में तीन विकेट चटका दिए थे, लेकिन गेंद बदलने के बाद भारतीय गेंदबाज बाकी सत्र में एक भी विकेट नहीं ले पाए. इससे साफ जाहिर होता है कि गेंद की गुणवत्ता ने मैच के परिणाम को प्रभावित किया.

ड्यूक्स गेंद का इतिहास काफी पुराना है, इसका निर्माण 1760 से होता आ रहा है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में टेस्ट और काउंटी क्रिकेट में इस गेंद को लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. खिलाड़ियों का मानना है कि गेंद की गुणवत्ता में गिरावट आई है, जो खेल के संतुलन को प्रभावित कर रही है.

अब देखने वाली बात यह होगी कि निर्माता कंपनी समीक्षा के बाद क्या बदलाव करती है और क्या भविष्य में ड्यूक्स गेंदें फिर से अपनी पुरानी प्रतिष्ठा हासिल कर पाती हैं या नहीं. ECB द्वारा गेंदों को लौटाना और कंपनी का सक्रिय रुख यह दर्शाता है कि इस बार मुद्दे को गंभीरता से लिया जा रहा है.

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