IND vs ENG: भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही पांच टेस्ट मैचों की एंडरसन-तेंदुलकर सीरीज का चौथा टेस्ट मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में खेला जा रहा है. यह टेस्ट मैच एक रोमांचक मोड़ पर आ गया है. लेकिन इस मैच में प्लेइंग इलेवन को लेकर पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने बड़ा बयान दे दिया है. गावस्कर ने कप्तान शुभमन गिल के अनुसार प्लेइंग इलेवन ना खिलाने की बात कही है. उन्होंने टीम के चयन को लेकर भी सवाल उठाए हैं.
भारतीय क्रिकेट में चयन को लेकर हमेशा बहस होती रही है, लेकिन इंग्लैंड दौरे के दौरान कप्तान शुभमन गिल, स्पिनर कुलदीप यादव और टीम चयन को लेकर पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर की टिप्पणी ने इस बहस को फिर से गरमा दिया है. गावस्कर का मानना है कि प्लेइंग इलेवन चुनने का अंतिम अधिकार कप्तान के पास होना चाहिए. कोच या अन्य किसी का इसमें दखल सीमित होना चाहिए. उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब कुलदीप यादव को लगातार टेस्ट एकादश से बाहर रखा गया है, जबकि उनका पिछला रिकॉर्ड शानदार रहा है.
IND vs ENG: कप्तान की स्वतंत्रता की चिंता
सुनील गावस्कर ने चयन को लेकर शुभमन गिल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि शायद गिल को कुलदीप यादव को खिलाने की आजादी नहीं दी गई. उन्होंने सोनी स्पोर्ट्स पर कहा, “आखिरकार, यह कप्तान की टीम होती है. अगर वह किसी खिलाड़ी को टीम में चाहता है, तो उसे ही अंतिम निर्णय लेना चाहिए.” गावस्कर ने यह भी जोड़ा कि हो सकता है गिल शार्दुल ठाकुर की जगह कुलदीप यादव को टीम में देखना चाहते हों, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई.
गावस्कर का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब कुलदीप यादव को पूरी टेस्ट सीरीज से बाहर रखा गया है, जबकि उन्होंने 2018 में जो रूट जैसे दिग्गज बल्लेबाज को सीमित ओवरों में दो बार आउट किया था. जो रूट ने हाल ही में रिकॉर्ड शतक जमाया और अब वह टेस्ट क्रिकेट में 13,409 रन के साथ सिर्फ सचिन तेंदुलकर से पीछे हैं. इसके बावजूद कुलदीप को मौका न मिलना कई सवाल खड़े करता है.
गावस्कर ने यह भी कहा कि जब वह कप्तान थे, तब कोच की भूमिका नहीं होती थी. टीम में सिर्फ मैनेजर या सहायक मैनेजर होते थे जो खिलाड़ियों को सलाह देते थे. उन्होंने कहा, “हमारे दौर में कप्तान का फैसला ही अंतिम होता था. कोच जैसा कोई पद नहीं था जो मैदान पर निर्णयों में दखल करे.”
टीम चयन में संतुलन या समझौता?
मुख्य कोच गौतम गंभीर पर भी अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा गया है. आम धारणा यह बन रही है कि गंभीर ने ऐसे खिलाड़ियों को प्राथमिकता दी जो बल्लेबाजी में भी योगदान दे सकते हैं, जिससे कुलदीप जैसे विशेषज्ञ गेंदबाज बाहर रह गए. खासकर हेडिंग्ले टेस्ट में भारत ने तीन विकेट पर 430 रन बनाए थे, लेकिन इसके बाद अगले 11 ओवर में पूरी टीम 471 पर ऑल आउट हो गई. इससे यह चिंता उठी कि टीम को निचले क्रम से पर्याप्त योगदान नहीं मिल रहा है, और शायद इसी सोच के तहत शार्दुल या रेड्डी जैसे ऑलराउंडर को प्राथमिकता दी गई.
हालांकि, आंकड़े यह दर्शाते हैं कि शार्दुल ठाकुर और नितीश रेड्डी का गेंदबाजी में योगदान न्यूनतम रहा है. शार्दुल ने तीन पारियों में केवल 27 ओवर डालकर दो विकेट लिए हैं, जबकि रेड्डी ने दो मैच में 28 ओवर डालकर दो ही विकेट चटकाए हैं. बल्लेबाजी में भी इनका योगदान औसत से नीचे रहा है, शार्दुल ने एक, चार और 41 रन बनाए, जबकि रेड्डी ने एक, एक, 30 और 13 रन की पारियां खेलीं.
गावस्कर ने यह भी कहा कि टीम मैनेजमेंट और कप्तान के बीच कोई असहमति हो सकती है, लेकिन उसे जानबूझकर छुपाया जा रहा है ताकि ड्रेसिंग रूम में सब कुछ ‘ठीक’ दिखे. उन्होंने कहा, “सच यह है कि कप्तान को जिम्मेदारी लेनी होती है. वह मैदान में टीम का नेतृत्व करता है, इसलिए चयन भी उसी का अधिकार होना चाहिए.”
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