Indian Test Team Captain Shubman Gill Early Cricket Journey: शुभमन गिल 20 जून को जब सफेद टी-शर्ट के ऊपर नीले (नेवी ब्लू) रंग के कोट में इंग्लैंड के लीड्स मैदान पर टॉस के लिए उतरेंगे तो उनके पिता लखविंदर सिंह गिल और दादा दीदार सिंह का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा क्योंकि उन्हें वर्षों की मेहनत का सुखद फल मिलेगा. लखविंदर ने जब शुभमन के क्रिकेट कौशल को देखकर भारत और पाकिस्तान की सीमा से महज 10 किलोमीटर दूर पंजाब के फाजिल्का जिले के अपने गांव चाख खेरा वाला से मोहाली जाने का फैसला किया तो उनके पास कोई दूसरी योजना नहीं थी. शुभमन उस समय नौ साल के थे. उन्होंने उस उम्र तक सिर्फ एक ही ‘खिलौना’ खेला था और वह था उनके दादा से मिला बल्ला.
गिल की कहानी अनुशासन, समर्पण और दृढ़ संकल्प का पालन करने के बारे में ही है. इसके साथ ही यह एक ऐसे ही पिता की कहानी है जो अपने बेटे को भारतीय टीम में पहुंचाने के लिह कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे. शुभमन इंग्लैंड दौरे पर जब भारतीय टीम की अगुवाई करेंगे तो यह लखविंदर के पिछले 16 साल की मेहनत का परिणाम होगा. यह जरूरी नहीं कि खेल से जुड़ी सभी कहानियां सहानुभूति भरी हों. वे जज्बे, उत्कृष्टता के प्रति जुनून और वर्षों तक एक परिवार के रूप में किए गए त्याग की कहानियां भी हो सकती हैं.
शुभमन गिल को बनाने में परिवार ने भी दिया योगदान
शुभमन के खेल में भटकने से रोकने के लिए परिवार कई वर्षों तक अपने ‘कम्फर्ट जोन’ (आरामदायक स्थिति) से दूर रहा. इसके साथ ही उसने पारिवारिक समारोहों से दूर रहने का फैसला किया. शुभमन जब 2018 में अंडर-19 विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ शतक लगाकर पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए थे तब लखविंदर ने पीटीआई से कहा था, ‘‘हमने सालों तक किसी शादी समारोह में भाग नहीं लिया था ताकि हमारे बेटे का ध्यान क्रिकेट पर नहीं भटके.’’
इस बात में हालांकि कोई शक नहीं कि गिल के परिवार के पास शुरुआत से ही संसाधनों की कोई कमी नहीं थी. उनके दादा दीदार अपने फाजिल्का स्थित घर के विशाल आंगन में एक अस्थायी पिच बनवा सकते थे और पिता चार लोगों के परिवार को चंडीगढ़ ले जाने का जोखिम उठा सकते थे. यह हालांकि गांव में उनके आरामदायक जीवन से बहुत दूर था.
करसन घावरी की पारखी नजरों ने गिल को ढूंढा
गिल की कहानी सही समय पर सही जगह पर होने और अपने काम को सही से अंजाम देने का एक बेहतरीन उदाहरण है. गिल के ख्वाबों को 2011 में उस समय उड़ान भरने का और बड़ा मौका मिला जब भारत के पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी की नजर उन पर पड़ी. घावरी बीसीसीआई की मदद से पंजाब क्रिकेट संघ (पीसीए) के लिए आयोजित तेज गेंदबाजों की शिविर में गये थे. उन्हें वहां यह देखकर आश्चर्य हुआ कि कोई भी बल्लेबाज तेज गेंदबाजों के खिलाफ बढ़िया तकनीक से बल्लेबाजी नहीं कर रहा था.
घावरी इसके बाद अपने किसी सहायक के साथ पीसीए स्टेडियम के बाहर अंडर-14 स्तर का मैच देखने के लिए पहुंचे और वहां एक किशोर खिलाड़ी की तकनीक ने उन्हें काफी प्रभावित किया. वह उस लड़के के बारे में पता करने के लिए पास ही पेड़ की छाया में खड़े होकर पूरी प्रक्रिया को ध्यान से देख रहे एक व्यक्ति के पास पहुंचे और पूछा, ‘‘वह लड़का कौन है? कहां रहता है.?’’ किसमत से वह लखविंदर थे जो अपने बेटे को बल्लेबाजी करते हुए देख रहे थे. लखविंदर ने कहा, ‘‘वह मेरा बेटा शुभमन है और वह 12 साल का है. ’’
द्रविड़ के अनुरोध पर एमएसके प्रसाद ने टीम में किया शामिल
भारत के लिए 100 से ज्यादा विकेट लेने वाले घावरी ने इसके बाद उन्हें तेज गेंदबाजों का सामना करने के लिए शिविर में बुलाया. इस शिविर में 12 साल का यह खिलाड़ी संदीप शर्मा जैसे तत्कालीन भारत के अंडर-19 तेज गेंदबाजों का डटकर सहजता से सामना करने में सफल रहा. घावरी की सिफारिश के बाद गिल को पंजाब अंडर-14 टीम में शामिल किया गया. भारतीय टीम जब 2018 दौरे के लिए इंग्लैंड जा रही थी जब एमएसके प्रसाद की चयन समिति ने टीम में अनमोलप्रीत सिंह को मौका देने का मन बनाया था लेकिन कोच राहुल द्रविड़ की अनुरोध पर गिल को चुना गया.
प्रसाद ने कहा, ‘‘उस सत्र में अनमोलप्रीत ने शानदार बल्लेबाजी की थी और पांच में से एक चयनकर्ता किसी भी हाल में उन्हें टीम में चुनने की मांग कर रहे थे. उस समय द्रविड़ एनसीए और भारत ए टीम के कोच थे उन्होंने इंग्लैंड दौरे के लिए गिल को टीम में रखने की वकालत करते हुए अनमोलप्रीत को किसी और दौरे (ए टीम) पर भेजने की सलाह दी.’’ प्रसाद ने कहा, ‘‘हम उनकी मांग को ठुकरा नहीं सके. शुभमन ने इसके कुछ महीने बाद अंडर 19 विश्व कप में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई.’’
शुभमन ने किया खुद को साबित
अनमोलप्रीत के पास रन थे लेकिन शुभमन के पास तकनीक और दबाव को झेलने वाला स्वभाव था. इस खेल के शीर्ष स्तर पर इन दोनों की गिनती रनों के बराबर होती है. द्रविड़ ने कुछ खास देखा था और वह नहीं चाहते थे कि यह लड़का घरेलू क्रिकेट में ज्यादा समय तक टिका रहे. उन्होंने ‘ए’ टीम की इंग्लैंड दौरे पर कुछ प्रभावी पारियां खेली लेकिन इसके एक साल बाद वेस्टइंडीज ‘ए’ के खिलाफ दोहरी शतकीय पारी खेलने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
टेस्ट मैचों में उनकी बल्लेबाजी में सुधार की काफी गुंजाइश है लेकिन उनकी कलाइयां लचीली हैं, शरीर मजबूत है और साथ ही उनका ‘स्टांस’ भी अच्छा है. उन्होंने एकदिवसीय में कुछ कमाल की पारियां खेली है. गिल भी कोहली की तरह सहजता से पुल और कवर-ड्राइव लगाते हैं. उन्होंने घरेलू पिचों पर खुद को साबित किया है लेकिन इंग्लैंड में उनकी बल्लेबाजी की असली परीक्षा होगी.
आसान नहीं होगा गिल का सफर
टीम के नेतृत्व की बात करें तो उन्होंने मौजूदा आईपीएल इस बात का संकेत है कि वे अपनी भूमिका में आगे बढ़ रहे हैं. गिल को कोच गंभीर के रहने से काफी फायदा होगा लेकिन उनका सफर आसान नहीं होगा. रोहित शर्मा और कोहली के संन्यास के बाद पूरे देश की उम्मीदों का भार उनके ऊपर होगा.
यह खबर न्यूज एजेंसी भाषा से ली गई है.
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