मुश्ताक जब क्रिकेट खेला करते थे तब दो बार भारत आए थे. वह पहली बार 1961 में टेस्ट श्रृंखला खेलने के लिए और फिर 1978 में अहमदाबाद में दिलीप सरदेसाई लाभार्थ मैच के लिए भारत आए थे. दोनों ही मौकों पर वह जूनागढ़ जाना चाहते थे, जो एक पूर्व रियासत थी, जहां से वह छह साल की उम्र में कराची चले गए थे. हालांकि अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण वह जूनागढ़ नहीं जा सके थे और दशकों बाद भी यह उनकी अधूरी इच्छा बनी हुई है.
वीजा नहीं मिला, इसलिए शादी में शामिल नहीं हो सके
वह अब बर्मिंघम में बस गए हैं, लेकिन पाकिस्तानी होने के कारण उनके लिए भारतीय वीजा प्राप्त करना जटिल है और कुछ वर्ष पहले यहां भारतीय उच्चायोग के चक्कर लगाते हुुए उन्हें इसका अनुभव हुआ. वह अपने पुराने मित्र बिशन सिंह बेदी की बेटी की शादी में शामिल होना चाहते थे लेकिन उन्हें समय पर वीजा नहीं मिला. मुश्ताक ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं उस जगह जाना पसंद करूंगा जहां मैं पैदा हुआ. जूनागढ़ जाने के सबसे करीब मैं तब गया था जब मैंने अहमदाबाद में दिलीप सरदेसाई के लिए मैच खेला था. मैं जूनागढ़ के लिए ट्रेन ले सकता था, लेकिन कार्यक्रम बहुत व्यस्त था. ’’
पंद्रह साल की उम्र में पदार्पण करने के बाद पाकिस्तान के लिए 57 टेस्ट मैच खेलने वाले पूर्व ऑलराउंडर ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से उसके बाद मैं कभी भारत नहीं जा पाया.’’ मुश्ताक ने भाषा के माध्यम से गुजरात से जुड़ाव बनाए रखा है. वह गुजराती भाषा को अच्छी तरह समझते हैं लेकिन वह उसे बोल या पढ़ नहीं सकते. मुश्ताक अपने अच्छे मित्र बिशन सिंह बेदी के बारे में बात करते हुए भावुक हो गए, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे.
बेदी ने स्पिनर बनने के लिए प्रेरित किया
पाकिस्तान के पूर्व ऑलराउंडर मुश्ताक ने खुद के लेग स्पिनर बनने का श्रेय बिशन सिंह बेदी को दिया. जब कोई और उनकी गेंदबाजी को गंभीरता से नहीं लेता था, तब उन्होंने मुश्ताक को इसके लिए प्रेरित किया. मुश्ताक ने टेस्ट मैचों में 79 विकेट लिए और 3543 रन बनाए. उन्होंने कहा, ‘‘बिशन मजाकिया इंसान थे. उन्हें क्रिकेट से प्यार था. हम नॉर्थम्पटनशर में छह साल तक साथ खेले. हमारे परिवारों में एक-दूसरे के लिए बहुत प्यार था. मैं हाल ही में लंदन में बेदी परिवार से मिला. जहीर अब्बास भी वहां थे. मैं उनके साथ बिताए गए दिनों को नहीं भूल सकता. उन्हें खोना बहुत दुखद है, बस यादें रह जाती हैं.’’
मुश्ताक अन्य भारतीय क्रिकेटरों के भी अच्छे मित्र थे, जिनमें सुनील गावस्कर (जिनसे उनकी मुलाकात एजबेस्टन टेस्ट के दौरान हुई थी) और कपिल देव शामिल हैं. उन्होंने कहा, ‘‘गावस्कर मेरे समय के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज थे. उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ कई शतक बनाए और वह भी बिना हेलमेट के. यह अविश्वसनीय था.‘‘
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