करियर का क्रॉस‑रिस्क
31 वर्षीय जितेश ने 2015‑16 सत्र में रणजी से घरेलू करियर की शुरुआत की थी, लेकिन पिछले 10 सीजन में सिर्फ 18 प्रथम‑श्रेणी मैचों में मौका मिला, जिसमें मुश्किल से चार अर्धशतक शामिल हैं. उनका अंतिम प्रथम‑श्रेणी मैच लगभग 18 महीने पहले था. साल 2024‑25 में रणजी ट्रॉफी की पूरी अवधि में उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला. अक्षय वाडकर को चुना गया, वे बैक‑अप के रूप में ही रहे. हालाँकि सीमित ओवरों में विदर्भ की टीम के सदस्य बने रहे. उनकी कप्तानी रही, लेकिन प्राथमिक भूमिका में नहीं आए.
IPL ग्लोरी का असर
आईपीएल 2025 में आरसीबी के अन्य सुपरस्टार्स की तरह, जितेश ने भी छा गए. खासकर लखनऊ के खिलाफ जरूरी मैच में नाबाद 85 रनों की पारी से RCB को बड़ी जीत दिलाई. उनकी स्ट्राइक रेट IPL में सबसे प्रभावशाली 176.3 रही, इस सीजन उन्होंने 261 रन बनाए. उप-कप्तान की जिम्मेदारी भी संभाली और रजत पाटीदार की चोट के दौरान कप्तानी की भूमिका निभाई. RCB में साथ खेलने वाले क्रुणाल पंड्या के करीब आ जाने से उनकी बॉन्डिंग मजबूत हुई, जो बड़ौदा टीम के कप्तान भी हैं.
बड़ौदा के लिए नई शुरुआत
बड़ौदा की टीम को मिली बड़ी उम्मीद, जितेश अब पहले विकल्प के रूप में ही खेले, चुनौतियों से जूझेंगे, और अपने शुरुआती दशक की मेहनत को फलीभूत करेंगे. न केवल सीमित ओवरों, बल्कि रणजी ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट में भी उन्हें मौका मिलने की उम्मीद है. विदर्भ से निकलकर बड़ौदा में कदम रखना एक रणनीतिक बदलाव है. यह शायद उनकी लंबी अवधि भविष्य की नींव रख सकता है.
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