Shikhar Dhawan on his Retirement: भारत की ओर से आईसीसी टूर्नामेंट्स में सबसे खास खिलाड़ी रहे शिखर धवन. वे जब तक मैदान पर रहते, बल्ले से धमाल मचाते, फील्डिंग में कबड्डी-स्टाइल जांघ थपथपाने और साथी खिलाड़ियों के साथ हंसी मजाक करते रहते थे. अपनी आकर्षक मुस्कान के साथ क्रिकेट मैदान पर धवन भारत के सबसे कामयाब व्हाइट-बॉल ओपनर्स में से एक रहे हैं. बेशक, उनके क्रिकेटिंग हुनर को इसका श्रेय जाता है, लेकिन उनके हालात को पढ़ने और समझने की क्षमता भी उतनी ही अहम रही है. कभी भारतीय क्रिकेट के स्टार रहे धवन बेहद शांत तरीके से इंडियन क्रिकेट से गायब हुए, लेकिन इसके लिए उन्होंने ईशान किशन की एक पारी का नाम लिया, जिसने उनकी विदाई पर मुहर लगा दी. उन्होंने 24 अगस्त 2024 को सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा की.
पहले शिखर धवन 2018 में टेस्ट टीम से बाहर हुए, फिर 2021 में टी20 फॉर्मेट से और फिर 2023 में अपने पसंदीदा वनडे फॉर्मेट से दरकिनार किए जाने के बाद धवन इंडियन क्रिकेट टीम से ही बाहर हो गए. 2013, 2015 और 2017 उनके लिए उपलब्धियों से भरे साल रहे. जब धवन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे, उसी दौरान भारतीय टीम में ओपनर के रूप में एक बड़ा बदलाव आता दिख रहा था. वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर का बल्ला पहले जितना नहीं चल रहा था और टीम अलग-अलग ओपनिंग कॉम्बिनेशन आजमा रही थी. धवन ने एक बार फिर परिस्थिति को बखूबी समझा और मार्च 2013 में उन्होंने यही कर दिखाया.
2013 में डेब्यू और 2018 का इंग्लैंड दौरा आखिरी
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2013 में मिचेल स्टार्क, पीटर सिडल और नाथन लायन जैसे गेंदबाज के सामने धवन ने डेब्यू टेस्ट में आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी की. उन्होंने सिर्फ 85 गेंदों में शतक ठोक दिया जो अब तक किसी भी टेस्ट डेब्यू करने वाले खिलाड़ी का सबसे तेज शतक है. मोहाली की सपाट पिच पर उन्होंने 33 चौके और 2 छक्कों की मदद से 107.47 के स्ट्राइक रेट से 187 रन बनाए. हालांकि इसी फॉर्मेट से वे सबसे पहले विदा हुए.
33 टेस्ट मैचों के सफर पर हिंदुस्तान टाइम्स को दिए गए इंटरव्यू में धवन ने कहा, “मुझे लगता है कि एक ओपनर के तौर पर 40 का औसत ठीकठाक था. मैं इंग्लैंड जैसे देशों में अच्छा नहीं कर सका. मैं दो बार वहां गया लेकिन कुछ खास नहीं कर पाया. मैंने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन शायद वह काफी नहीं थी.” 2018 का इंग्लैंड दौरा ही उनके टेस्ट करियर का अंत बन गया.
टी20 वर्ल्ड कप से बाहर होना और चुपचाप विदाई
2018 टेस्ट करियर के लिए झटका था, लेकिन टी20 से बाहर होना धवन को पहले ही भांप में आ गया था. उन्होंने खुद यह महसूस किया था कि अब वह टी20 योजना में नहीं हैं. उन्होंने उस दौर में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया 1759 रन, 126.36 की स्ट्राइक रेट जो बुरा प्रदर्शन नहीं कहा जा सकता. लेकिन टी20 क्रिकेट की गति तेजी से बदल रही थी, और युवा खिलाड़ियों के लिए रास्ता बन रहा था.
2021 में जब दुबई में टी20 वर्ल्ड कप के लिए टीम घोषित हुई, तो धवन का नाम नहीं था. रोहित शर्मा के साथ ओपनिंग की जिम्मेदारी केएल राहुल को दी गई. धवन ने कहा, “मुझे पहले से एहसास था कि मेरा नाम नहीं आएगा. मैंने किसी को फोन तक नहीं किया. न ही यह पूछा कि मेरा चयन क्यों नहीं हुआ. अगर पूछता भी, तो उनकी अपनी सोच होती और मेरी अपनी. उसका कोई फायदा नहीं और न ही नतीजा बदलता.”
सबसे बड़ा झटका- वनडे टीम से बाहर होना
हालांकि, धवन के लिए सबसे बड़ा आघात तब आया जब उन्हें उस फॉर्मेट से भी बाहर कर दिया गया, जिसमें वे एक दशक से हावी रहे थे वनडे इंटरनेशनल. उनके आंकड़े इसकी गवाही देते हैं. वे 2013 चैंपियंस ट्रॉफी में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे. 2015 वर्ल्ड कप में भारत के टॉप रन स्कोरर रहे. 2017 चैंपियंस ट्रॉफी में उन्होंने सबसे ज्यादा रन बनाए. ICC ODI टूर्नामेंट्स में 65 का औसत रहा और रोहित शर्मा के साथ सचिन-गांगुली के बाद भारत की दूसरी सबसे सफल ओपनिंग जोड़ी रही.
2013 से 2022 के बीच भारत के लिए सिर्फ दो बल्लेबाज उनसे ज्यादा रन बना सके रोहित शर्मा और विराट कोहली. इसके बावजूद, धवन को 2023 के होम वनडे वर्ल्ड कप के लिए भी नहीं चुना गया. क्या उन्हें इससे बेहतर विदाई नहीं मिलनी चाहिए थी? इस पर धवन का जवाब संतुलित था. उन्होंने कहा, “देखा जा सकता है कि हां, मैं बेहतर विदाई डिजर्व करता था. लेकिन दूसरी ओर शुभमन गिल उस वक्त टी20 और टेस्ट दोनों में शानदार प्रदर्शन कर रहे थे. अब मैं सिर्फ वनडे तक सीमित रह गया था, जबकि वह हर फॉर्मेट में छाए हुए थे. वह खुद को साबित कर रहे थे और कोचों की नजर में बने हुए थे. वो एक ऐसा माहौल बना रहे थे जो पूरी तरह स्वाभाविक और प्रभावशाली था.”
‘जब ईशान ने 200 मारा, तो मन ने कहा- ‘हो सकता है यही अंत हो’
शिखर धवन के वनडे करियर में कोई अचानक गिरावट नहीं आई थी. जब उन्हें 2022 में टीम से बाहर किया गया, तब उनका औसत 34 था, जो उनके करियर औसत (45+) से जरूर कम था, लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता कि वह फॉर्म से पूरी तरह बाहर थे. बस, यही वो समय था जब शुभमन गिल और ईशान किशन की तेजी से उभरती प्रतिभा ने भारतीय टीम में नई राहें खोल दीं.
बांग्लादेश दौरा 2022 धवन के करियर का अंतिम पड़ाव बन गया. इस दौरे पर ईशान किशन ने ऐतिहासिक दोहरा शतक जड़कर वनडे क्रिकेट में नया अध्याय लिख दिया. धवन ने कहा, “मैं लगातार अर्धशतक बना रहा था. सेंचुरी नहीं आई, लेकिन कई बार 70-75 रन जरूर बनाए. लेकिन जब ईशान ने 200 मारा, तो एक अंदर की आवाज आई- भाई, हो सकता है ये तुम्हारे करियर का अंत हो. मेरे अंदर से एक आवाज आई और अंत में वही हुआ.”
जब रिटायर हुए तो कौन मिलने आया?
उन्होंने बताया कि उस वक्त कुछ दोस्त उनसे मिलने आए, उन्हें लगा कि शिखर भावनात्मक रूप से बहुत टूटे होंगे. धवन ने मुस्कुराते हुए कहा, “लेकिन मैं तो मस्त बैठा था, मजे कर रहा था.” जब उनसे पूछा गया कि क्या उस समय टीम के किसी साथी खिलाड़ी ने संपर्क किया? धवन ने कहा, “नहीं, ऐसा कुछ खास नहीं होता. शायद राहुल भाई (द्रविड़) से मेरी बात हुई, उन्होंने मुझे मैसेज किया. हर किसी का अपना सफर होता है. कोई काम में बिजी होता है, कोई दौरे पर होता है. यह सब बहुत सामान्य है. हम 14 साल की उम्र से ही इस सब के आदी हैं. ये पहली बार नहीं है जब मैं टीम से अंदर-बाहर हुआ हूं.”
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