Dhoni का बल्ला इन पिचोंं पर क्यों चमका, मिट्टी का है खास कमाल
झारखंड के मशहूर खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने कई कीर्तिमान कायम किए हैं.
By demodemo | May 15, 2024 3:51 PM
MS Dhoni centuries : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MSD) के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं. उन्होंने भारतीय टीम को भी कई ट्रॉफी दिलाई हैं. उनके क्रिकेट करियर के आंकड़ों पर निगाह डालें तो पाएंगे कि महेंद्र सिंह धोनी ने वन डे इंटरनेशनल (ODI) मैचों में 10 सेंचुरी लगाई है. जबकि टेस्ट मैचों में 6 शतक मारे हैं. रोचक बात यह है कि ये सेंचुरी पड़ोसी देशों में लगाई गई है. इनमें शारजाह, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश की पिचें शामिल हैं. भारतीय पिचों पर भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है. झारखंड के वरिष्ठ खेल पत्रकार अरविंद मिश्रा कहते हैं कि धोनी ने ज्यादातर सेंचुरी एशिया की पिचों पर ही लगाई हैं. वह तेज खेलना पसंद करते हैं और स्पिनरों के खिलाफ उनका गेम एकदम अलग होता है.
कैप्टन कूल के नाम से फेमस
अरविंद मिश्रा बताते हैं कि महेंद्र सिंह धोनी जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कैप्टन कूल के नाम से फेमस हैं. उन्हें बेस्ट फिनिशर माना जाता है. धोनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं. धोनी बैकफुट पर बल्लेबाजी करते हैं. उनकी मजबूती बॉटम हैंड ग्रिप है. इससे वो पूरी ताकत के साथ गेंद पर प्रहार करते हैं. धोनी की बल्लेबाजी शैली को उनकी ताकत अधिक निखारती है. हालांकि धोनी स्पिनरों की तुलना में तेज गेंदबाजों को अच्छा खेलते हैं. धोनी के बल्ले पर गेंद जितनी तेज गति से आती है, उसे वो उतनी ही ताकत के साथ प्रहार करते हैं. हालांकि भारत के पूर्व कोच गैरी किर्स्टन ने धोनी की तारीफ करते हुए एक बार कहा था कि जब माही अच्छे फॉर्म में होते हैं, तो उनके सामने गेंदबाजी करना बहुत मुश्किल होता है. चाहे स्पिनर हों या फिर तेज गेंदबाज, धोनी के सामने कोई नहीं चल पाते.
एशिया की पिचों के बारे में अरविंद मिश्रा बताते हैं कि भारत और पड़ोसी देशों में पिचें Spin Bowling को देखकर तैयार की जाती हैं जबकि बाहर की पिचों में पेसर्स को मदद मिलती है. पिचों के ऐसे मिजाज का कारण क्लाइमेट है. एशियाई देशों में गर्मी, बारिश, ठंड अलग-अलग तरह का मौसम रहता है. मिट्टी भी अलग है. खासकर भारत की बात करें तो यहां हर पिच की मिट्टी अलग है.
वानखेड़े स्टेडियम की पिच पेसर्स के लिए मददगार
अरविंद मिश्रा के मुताबिक अगर हम MA Chidambaram Stadium की बात करें तो वहां की पिच की मिट्टी काली, चिपचिपी और मुलायम है. वहीं वानखेड़े स्टेडियम की पिच पेसर्स के लिए मददगार है. वहां की मिट्टी लाल है. यही कारण है कि भारत की पिचें सख्त नहीं होती, इसलिए पेसर्स को मदद नहीं मिलती. इसका तकनीकी कारण यह भी है कि Equator Line के आप जितना नजदीक होंगे, मिट्टी उतनी मुलायम होगी.
एशिया के बाहर पिच सख्त होती है
अरविंद मिश्रा के मुताबिक एशिया के बाहर के देशों की बात करें तो वहां पिच सख्त होती है और उस पर बॉल तेजी से जाती है. वहां पर बॉलर्स को बाउंस भी अच्छा मिलता है. सीमर्स को एशियाई पिचों पर बॉल का ऐसा मूवमेंट नहीं मिलता है. इसीलिए ज्यादातर भारतीय बल्लेबाज स्पिन गेंदबाजी को ज्यादा पसंद करते हैं. उन्हें बाउंस खेलने में दिक्कत होती है.