Ms Dhoni Fitness of Youngsters: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और विश्व क्रिकेट के सबसे सफल नेताओं में से एक महेंद्र सिंह धोनी ने देश में युवाओं और बच्चों की गिरती फिटनेस पर गहरी चिंता व्यक्त की है. रांची में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान धोनी ने कहा कि आज के समय में बच्चों में शारीरिक गतिविधियों की कमी साफ नजर आती है, जिससे उनका फिटनेस स्तर प्रभावित हो रहा है. धोनी ने इस मुद्दे पर अपनी व्यक्तिगत जिंदगी का भी उदाहरण दिया, यह बताते हुए कि वे अपनी बेटी को सक्रिय रखने के लिए योजनाबद्ध प्रयास करते हैं.
महज एक खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्रोत के रूप में माने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी 44 साल की उम्र में भी फिटनेस का बेहतरीन उदाहरण पेश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज के समय में युवाओं की जीवनशैली में आए बदलाव के चलते शारीरिक सक्रियता बेहद कम हो गई है, जिससे औसत फिटनेस स्तर में गिरावट आई है.
बच्चों में खेलों से दूरी पर जताई चिंता
धोनी ने कहा, “आजकल उम्र कम हो रही है, यानी शारीरिक गतिविधियों की मात्रा घट रही है. इसलिए भारतीयों का औसत फिटनेस स्तर भी गिर गया है. मेरी बेटी भी शारीरिक रूप से बहुत सक्रिय नहीं है. वह खेलों में रुचि नहीं रखती, इसलिए हमें ऐसी योजनाएं बनानी पड़ती हैं जहां वह कुछ न कुछ गतिविधि करे और शरीर को चलायमान रखे.”
यह चिंता सिर्फ धोनी की नहीं है, बल्कि यह आज के समाज की एक बड़ी हकीकत है. शहरीकरण, डिजिटल गैजेट्स का बढ़ता प्रभाव, और पढ़ाई के बढ़ते दबाव ने बच्चों को खेल मैदानों से दूर कर दिया है. धोनी ने इसी मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए कहा कि अगर आज की पीढ़ी को स्वस्थ और संतुलित बनाना है, तो उन्हें शारीरिक गतिविधियों की तरफ वापस लाना होगा.
MS DHONI फिटनेस के प्रतीक
धोनी 2020 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं, लेकिन आज भी उनकी फिटनेस किसी युवा खिलाड़ी से कम नहीं है. आईपीएल 2025 में वे चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से खेलते नजर आए और मैदान पर उनकी चुस्ती-फुर्ती देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि वे 44 साल के हैं. विकेट के पीछे उनकी फुर्ती, तेज रनिंग और फिनिशिंग स्किल्स आज भी दर्शकों को रोमांचित कर देती हैं.
धोनी ने कार्यक्रम में कहा कि फिटनेस केवल खिलाड़ियों के लिए नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए भी उतनी ही जरूरी है. उनका मानना है कि हर व्यक्ति को अपने दिनचर्या में कुछ न कुछ फिजिकल एक्टिविटी जरूर शामिल करनी चाहिए, चाहे वह वॉकिंग हो, साइक्लिंग हो या कोई खेल.
तीनों ICC ट्रॉफी जीतने वाले इकलौते कप्तान
महेंद्र सिंह धोनी भारत के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने तीनों आईसीसी ट्रॉफी- 2007 टी20 वर्ल्ड कप, 2011 वनडे वर्ल्ड कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी- भारत को जिताई हैं. 2004 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले धोनी 2007 में भारत के कप्तान बने और फिर भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले गए. मैदान पर उनके शांत स्वभाव और रणनीतिक चतुराई ने उन्हें ‘कैप्टन कूल’ की उपाधि दिलाई.
The only captain to win all the ICC Trophies till now. MS Dhoni has been the pioneer of Indian Cricket with his leadership especially regarding backing youngsters like Kohli, Rohit, Ashwin, Jadeja and many more. The man with the Golden touch. Happy 43rd Captain Cool!💙🧿🏆#Dhoni pic.twitter.com/hmzwoBnrNv
— Omkar🏏🇮🇳 (@Omkar_Acharya12) July 7, 2024
फिटनेस हमेशा धोनी के जीवन का अहम हिस्सा रही है. वह अपने खान-पान, व्यायाम और नींद को लेकर बेहद अनुशासित रहते हैं. यही कारण है कि संन्यास लेने के बावजूद वह किसी युवा खिलाड़ी की तरह मैदान पर प्रदर्शन कर पाते हैं.
IPL खेलने को लेकर अभी फैसला नहीं
हालांकि धोनी ने अभी तक यह साफ नहीं किया है कि वह आईपीएल 2026 में खेलेंगे या नहीं. उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सीजन शुरू होने से पहले उनका शरीर कितना फिट महसूस करता है. इससे यह जाहिर होता है कि वे किसी भी स्तर पर फिटनेस के साथ समझौता नहीं करते.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें धोनी फिटनेस को लेकर अपनी राय साझा करते नजर आ रहे हैं. वीडियो में वे बच्चों में खेलों की घटती रुचि को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं और कहते हैं कि एक सक्रिय जीवनशैली ही लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है.
फिटनेस के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत
धोनी की यह बात न सिर्फ खेल जगत बल्कि आम जनता के लिए भी एक अहम संदेश है. आज की डिजिटल दुनिया में जहां बच्चे घंटों मोबाइल या लैपटॉप में व्यस्त रहते हैं, वहां धोनी जैसा आइकन अगर शारीरिक गतिविधियों पर जोर देता है, तो वह एक सामाजिक बदलाव की प्रेरणा बन सकता है.
धोनी का मानना है कि फिटनेस कोई विकल्प नहीं, बल्कि जीवन का अनिवार्य हिस्सा है. उनके अनुसार अगर हम अगली पीढ़ी को स्वस्थ और आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं तो हमें स्कूलों, परिवारों और समाज के स्तर पर खेल और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देना होगा.
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