एथलीट नीरज चोपड़ा ने वह पूरा किया, जिसे विराट, सानिया, द्रविड़ और सुनील छेत्री ने अधूरा छोड़ा था

Neeraj Chopra becomes India's ultimate "won it all" Athlete: नीरज चोपड़ा ने दोहा डायमंड लीग में 90.23 मीटर थ्रो कर 90 मीटर की बहुप्रतीक्षित दूरी पार कर ली. वे पहले भारतीय हैं जिन्होंने यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की और नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया. ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप, एशियन गेम्स और डायमंड लीग, हर स्तर पर उन्होंने स्वर्णिम झंडा गाड़ा. जहां कई महान भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियां अधूरी रहीं, नीरज ने हर मुकाम फतह कर खुद को सबसे खास बना लिया.

By Anant Narayan Shukla | May 17, 2025 6:28 AM
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Neeraj Chopra becomes India’s ultimate “won it all” Athlete: भारत के कई महान खिलाड़ियों की उपलब्धियों में कुछ न कुछ अधूरा रह गया. सानिया मिर्ज़ा ने महिला टेनिस में भारत का नाम ऊंचा किया, ग्रैंड स्लैम सिंगल्स खिताब नहीं जीत सकीं. राहुल द्रविड़, जो युग के महान बल्लेबाज़ों में गिने जाते हैं, वर्ल्ड कप नहीं जीत पाए. सुनील छेत्री और भूटिया जैसे फुटबॉल सितारे भारत को वर्ल्ड कप तक नहीं पहुंचा सके और विराट कोहली, टेस्ट क्रिकेट के दूत कहे जाने वाले बल्लेबाज, इस फॉर्मेट को 10,000 रन पूरे किए बिना अलविदा कह गए. लेकिन नीरज चोपड़ा ने शायद कोई अधूरापन नहीं छोड़ा. हो सकता है अब फैंस उन्हें वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते देखना चाहें, लेकिन उन्होंने खुद को उन विरले भारतीय खिलाड़ियों की सूची में शामिल कर लिया है जिन्होंने सब कुछ हासिल किया है और सब कुछ जीत लिया है.

भारत के विश्व चैंपियन और ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने आखिरकार अपने देश के पहले एथलीट के रूप में 90 मीटर की दूरी पार कर ली. यह वह उपलब्धि है जिसके बारे में लंबे समय से चर्चा होती रही है. यह ऐतिहासिक उपलब्धि उन्होंने शुक्रवार को दोहा डायमंड लीग के सीजन की शुरुआती प्रतियोगिता में 90.23 मीटर भाला फेंक कर हासिल की. अब यह कहना गलत नहीं होगा कि नीरज ने अपने करियर में लगभग हर उपलब्धि को छू लिया है. हां, अभी भी कई प्रतियोगिताएं बाकी हैं, और गोल्ड मेडल की संख्या बढ़ाई जा सकती है, लेकिन उपलब्धियों की सूची में उन्होंने लगभग हर बॉक्स पर टिक लगा दिया है.

हालांकि इस प्रतियोगिता में जर्मनी के जूलियन वेबर ने अंतिम राउंड में 91.06 मीटर की ज़बरदस्त थ्रो करके नीरज को पीछे छोड़ दिया और पहला स्थान हासिल किया, लेकिन नीरज ने 90.23 मीटर की दूरी तय करके नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया (जो इससे पहले उन्होंने 2022 की स्टॉकहोम डायमंड लीग में 89.94 मीटर फेंक कर बनाया था). यह उपलब्धि उन्हें भारतीय खेलों के शिखर पर पहुंचा देती है.

नीरज चोपड़ा का कैरियर; पदकों का एक-एक पायदान

नीरज ने अपने करियर की शुरुआत युवा स्तर पर शानदार तरीके से की थी. उन्होंने 2016 में साउथ एशियन और वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, एशियन अंडर-20 चैंपियनशिप में रजत पदक, और 2017 में एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते. हालांकि उनका पहला बड़ा ब्रेक 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में आया, जहां उन्होंने 86.47 मीटर की थ्रो से भारत के पहले भाला फेंक स्वर्ण पदक विजेता बनने का गौरव हासिल किया. उसी साल एशियन गेम्स में उन्होंने 88.04 मीटर की थ्रो से भारत को पहला एशियन गेम्स भाला स्वर्ण भी दिलाया.

2021 ओलंपिक के गोल्डन बॉय

लेकिन नीरज को जो असली पहचान मिली, वह 2021 के टोक्यो ओलंपिक में थी. 7 अगस्त के उस ऐतिहासिक दिन उन्होंने 87.58 मीटर की थ्रो की और भारतीय खेल इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करवा लिया. इसके बाद तो विज्ञापनों, एंडोर्समेंट्स, मीडिया कवरेज और सोशल मीडिया पर लोकप्रियता की बाढ़ आ गई, लेकिन नीरज की ‘चैंपियन ज़ोन’ इससे नहीं डिगी.

इसके बाद 2022 में अमेरिका के यूजीन में हुई वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नीरज ने 88.13 मीटर की थ्रो से रजत पदक जीता और ऐसा करने वाले पहले भारतीय पुरुष बने. उनसे पहले केवल अंजू बॉबी जॉर्ज ने 2003 में कांस्य पदक जीता था. सितंबर 2022 में नीरज ने ज्यूरिख में 88.44 मीटर की थ्रो से डायमंड लीग खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बनने का इतिहास रचा.

2024 ओलंपिक में गोल्ड से चूके, लेकिन जीता दिल

2023 उनके लिए शानदार वर्ष रहा. बुडापेस्ट में 88.17 मीटर की थ्रो के साथ वह वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बने. उसी साल उन्होंने एशियन गेम्स (हांगझोउ) में भी अपना खिताब बचाया. 2024 के पेरिस ओलंपिक में नीरज से स्वर्ण पदक की उम्मीद थी, लेकिन चोटों से जूझने के बावजूद उन्होंने 89.45 मीटर की एकमात्र वैध थ्रो से रजत पदक जीता. पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर की थ्रो कर न केवल स्वर्ण जीता, बल्कि नया ओलंपिक रिकॉर्ड भी बनाया.

चोटों से उबरने के बाद नीरज ने अपने नए कोच जान जेलेजनी के मार्गदर्शन में दमदार वापसी की. और अब दोहा में 90 मीटर की वह प्रतीक्षित थ्रेशहोल्ड पार करके उन्होंने वह मुकाम भी हासिल कर लिया जो वर्षों से भारतीय खेलों में एक सपना बना हुआ था.

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