मुक्केबाजी विश्वकप में भारतीय इतिहास का पहला गोल्ड, इंडियन नेवी के हितेश गुलिया ने रचा इतिहास

Hitesh Gulia: भारतीय मुक्केबाजों ने ब्राजील के फोज डू इगुआकू में आयोजित विश्व मुक्केबाजी कप में दमदार प्रदर्शन करते हुए कुल छह पदक अपने नाम किए. इनमें एक स्वर्ण, एक रजत और चार कांस्य पदक शामिल हैं. खास बात यह रही कि भारत ने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में पहली बार हिस्सा लिया और डेब्यू में ही बेहतरीन सफलता हासिल की. स्वर्ण पदक भारत के हितेश गुलिया ने जीता, जो इस प्रतियोगिता में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बन गए हैं. उनकी यह ऐतिहासिक उपलब्धि देश के लिए गर्व का क्षण है.

By Anant Narayan Shukla | April 6, 2025 3:19 PM
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Hitesh Gulia: भारतीय मुक्केबाजों ने ब्राजील के फोज डू इगुआकू में आयोजित विश्व मुक्केबाजी कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल छह पदक अपने नाम किए, जिसमें एक स्वर्ण, एक रजत और चार कांस्य पदक शामिल हैं. इस प्रतियोगिता में भारत ने पहली बार भाग लिया और पहली ही कोशिश में इतिहास रच दिया. इसके अलावा भारत की ओर से हितेश गुलिया ने स्वर्ण पदक जीतकर नई उपलब्धि हासिल की. वह विश्व मुक्केबाजी कप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बन गए हैं. आपको बता दें कि हितेश भारतीय नौसेना के सदस्य हैं. Boxing World Cup 2025.

हितेश ने यह स्वर्ण 65-70 किग्रा भार वर्ग में इंग्लैंड के ओडेल कामारा के खिलाफ फाइनल में हासिल किया. हालांकि यह मुकाबला रिंग में नहीं हो सका क्योंकि ओडेल चोटिल होने के कारण फाइनल में उतरने में असमर्थ रहे. हितेश को वॉकओवर मिला, लेकिन उनके शानदार प्रदर्शन और टूर्नामेंट तक के सफर ने स्वर्ण की पूरी अहमियत को दर्शाया. उन्होंने अपनी इस जीत का श्रेय टूर्नामेंट से पहले ब्राजील में आयोजित 10 दिवसीय तैयारी शिविर को दिया. हितेश ने कहा, “शिविर ने मुझे रणनीतिक बारीकियां सिखाईं, जिससे प्रतियोगिता में आत्मविश्वास के साथ उतर सका. यह टूर्नामेंट हमारे लिए एक बड़ा अनुभव था और मुझे खुशी है कि मैं देश के लिए स्वर्ण ला सका.” Hitesh Gulia Created History.

हितेश की इस उपलब्धि पर नौसेना की तरफ से बधाई दी गई. नौसेना के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट कर हितेश को देश का गर्व भी बताया.

65 किग्रा भार वर्ग में भारत के अभिनाश जामवाल ने भी शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल में जगह बनाई. हालांकि फाइनल में उन्हें ब्राजील के यूरी रेइस से कड़ी टक्कर मिली और वे स्वर्ण से चूक गए. उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा, लेकिन उनकी जुझारू पारी ने सभी का ध्यान खींचा.

इसके अलावा भारत के जादुमणि सिंह मंदेंगबाम (50 किग्रा), मनीष राठौड़ (55 किग्रा), सचिन (60 किग्रा) और विशाल (90 किग्रा) ने कांस्य पदक जीतकर टीम की झोली में चार और पदक जोड़े. इन सभी मुक्केबाजों ने दमदार खेल दिखाते हुए अपने-अपने वर्ग में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया.

भारत ने इस प्रतियोगिता में कुल 10 सदस्यीय दल उतारा था, जो पेरिस ओलंपिक के बाद भारतीय टीम का पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था. ऐसे में यह प्रदर्शन बेहद अहम माना जा रहा है. इस शानदार प्रदर्शन से भारतीय मुक्केबाजी दल का मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ा है. अब टीम की निगाहें 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक पर टिकी हैं और यह प्रदर्शन उस दिशा में एक मजबूत शुरुआत मानी जा रही है. विश्व मुक्केबाजी कप में भारत की यह सफलता आने वाले समय में खेल के विकास और युवाओं की प्रेरणा का जरिया बन सकती है.

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