आचरण के बिना ज्ञान की सार्थकता नहीं -12 प्रतिनिधि, फारबिसगंज तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या समणी निर्देशिका भावित प्रज्ञा जी समरी संघप्रज्ञा जी समणी मुकुल प्रज्ञा जी के सान्निध्य में जैन विद्या के प्रमाण पत्रों को वितरित व सम्मानित करने का कार्यक्रम सानंद संपन्न हुआ. इस अवसर पर समणी भावित प्रज्ञा जी ने सबको जैन विद्या परीक्षा में जुड़ने की प्रेरणा देते हुए कहा कि फारबिसगंज उर्वरक क्षेत्र है. यहां के व्यक्ति धर्म संघ से जुड़े हुए हैं. इसी क्रम में जुड़ने के लिए जैन विद्या परीक्षा बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है. जो हमें अपने जैनत्व होने का गौरव प्रदान करती है. अपने धर्म के मूल को जानने का साधन है जैन विद्या परीक्षा. पढमं नाणं तओ दया- जैन दर्शन का यह समन्वयात्मक सिद्धांत है. ज्ञान के बिना आचरण सही नहीं किया जा सकता और आचरण के बिना ज्ञान की सार्थकता भी नहीं है. समणी निर्देशिका ने सभी परीक्षार्थियों के प्रति मंगल भावना प्रगट की व उनके आध्यात्मिक उज्ज्वल भविष्य की कामना की. स्थानीय सभा के मंत्री मनोज भंसाली ने मंच का संचालन करते हुए जानकारी दिया कि पिछले वर्ष लगभग 70 व्यक्तियों ने फॉर्म भरा था जिसमें 63 ने परीक्षा देकर सभी जैन विद्या परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं, आगे यह संख्या और बढ़ानी है. उन्होंने बताया कि कुसुम भंसाली बिहार प्रभारी के रूप में केंद्र के द्वारा नियुक्त की गयी है. इस वर्ष केंद्र व्यवस्थापक के रूप में सभा द्वारा कल्पना सेठिया व केंद्र सह व्यवस्थापक के रूप में शैलेश बैद की नियुक्त की गयी है. प्रभा सेठिया को ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका के रूप में नियुक्त किया गया है. ज्ञानशाला में प्रभादेवी सेठिया, खुशबू डागा,ममता डागा, बबीता डागा, सारिका बैद, नीता गोलछा, वीणा बैद सहित अन्य प्रशिक्षिकाऐ व शिक्षिकाऐ भी अपने श्रम का अमूल्य योगदान दे रही है. स्थानीय सभा अध्यक्ष महेंद्र बैद ने समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती लाडनूं की तरफ से हर वर्ष नियोजित होने वाले जैन विद्या परीक्षा में भाग लेने के लिए सबको प्रोत्साहित किया. सभा के द्वारा जैन विद्या व 17 वीं आगम मंथन प्रतियोगिता के अंतगड़दसाओ में भाग लेने के लिए प्रेरित भी किया गया. कार्यक्रम में सभा, महिला मंडल,युवक परिषद कन्या मंडल व ज्ञानशाला के बच्चों ने बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज की.
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