प्रखंड कृषि कार्यालय में किसानों को नहीं मिल रही कृषि कार्य की जानकारी ओबरा. खेती का मौसम परवान पर है. जिले में धान की रोपनी तेज गति से चल रही है. कृषि विभाग भी धान रोपनी के लक्ष्य को प्राप्त करने या यूं कहे आंकड़े को सहेजने में जुुटा है. विभाग से किसानों को लगातार निर्देश दिया जा रहा है कि खेती में उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. समय पर खाद, बीज उपलब्ध होगा. लेकिन, दुर्भाग्य की बात तो यह है कि ओबरा का प्रखंड कृषि कार्यालय बिना प्रखंड कृषि पदाधिकारी के ही चल रहा है. पिछले एक पखवारे से बीएओ का पद रिक्त है. ओबरा प्रखंड में 20 पंचायत हैं. बीएओ रहे राजेश कुमार रंजन की पदस्थापना शेखपुरा जिले में सहायक निदेशक व बीज उत्पादन सह विपणन पदाधिकारी के रूप में की गयी है. उनके स्थानांतरण के बाद से प्रखंड कृषि पदाधिकारी का पद रिक्त पड़ा है. ऐसे में आरोप लग रहा है कि किसान सलाहकार, कृषि समन्वयक, सहायक तकनीकी प्रबंधक मनमानी तरीके से कार्यालय आते-जाते हैं. जब किसान अपनी समस्याओं को लेकर कृषि कार्यालय पहुंचते हैं तो उन्हें उचित सलाह नहीं मिल रहा है. प्रखंड मुख्यालय के उर्वरक विक्रेता खाद की कालाबाजारी कर रहे है. किसानों को ऊंची दरों पर उर्वरक दिया जा रहा है. ऐसे में किसान शोषण का शिकार हो रहे हैं. किसान मुनारीक राम, अर्जुन प्रसाद, विजय सिंह, सुरेंद्र सिंह, अशोक सिंह, अशोक पासवान, राजेंद्र प्रसाद आदि किसानों का कहना है कि प्रखंड मुख्यालय में प्रखंड कृषि पदाधिकारी का पद रिक्त होने के कारण सलाह लेने में परेशानी हो रही है. सरकार द्वारा प्रखंड कृषि समन्वय को उर्वरक की कालाबाजारी जांच करने की आदेश विभाग द्वारा दिया गया है, लेकिन प्रखंड कृषि समन्वय द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. न कोई देखने वाला है और न कोई समझाने वाला. मिली जानकारी के अनुसार प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि कार्यालय में प्रशिक्षु प्रखंड कृषि पदाधिकारी रागिनी कुमारी की पदस्थापना हुई है लेकिन उन्हें अब तक प्रभार नहीं दिया गया है जिसके कारण किसानों को और परेशानी हो रही है. किसानों ने डीएम व जिला कृषि पदाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए समस्याओं के समाधान की मांग की है.
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