Bihar News: 600 KM की सरकारी सवारी, DEO ने निजी काम में झोंक दिया शिक्षा विभाग का पैसा, गाड़ी भी अवैध

Bihar News: बिहार के औरंगाबाद में जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेन्द्र कुमार ने शादी अटेंड करने के लिए सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल किया. इस गाड़ी का प्रॉपर डॉक्यूमेंट भी नहीं था और DEO ने इसे यूज करने के लिए परमीशन भी नहीं ली थी.

By Paritosh Shahi | April 21, 2025 3:41 PM
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Bihar News: औरंगाबाद के डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर (DEO) सुरेन्द्र कुमार एक बार फिर विवादों में है. इस बार उन पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी स्कॉर्पियो का इस्तेमाल अपने निजी काम के लिए किया है. डीईओ साहब 18 अप्रैल को लगभग 300 किलोमीटर दूर दरभंगा में डीपीओ भोला कर्ण की शादी में शामिल होने पहुंचे. यह बात तब सामने आई जब उनकी शादी में जाने की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी.

सरकारी गाड़ी से पहुंचे डीईओ साहब

वीडियो में साफ दिख रहा है कि DEO सुरेंद्र कुमार जिस गाड़ी से शादी में पहुंचे थे, वह डिपार्टमेंट का स्कॉर्पियो (नंबर BR 26 PA 6207) है, जिसे सरकारी काम जैसे स्कूल निरीक्षण और ऑफिसियल विजिट के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

अवैध गाड़ी से घूम रहे अधिकारी

एम-परिवहन ऐप से मिली जानकारी के मुताबिक, इस गाड़ी का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, बीमा और फिटनेस सर्टिफिकेट सभी एक्सपायर हो चुके हैं. यानी गाड़ी को सड़क पर चलाना गैरकानूनी था. इसके बाद भी डीईओ ने इसे अपने निजी काम के लिए इस्तेमाल किया.

गाड़ी लिमिट से ज्यादा चला दी

जांच में पता चला कि यह स्कॉर्पियो एक व्यक्ति पवन कुमार सिंह के नाम से रजिस्टर्ड है और इसे शिक्षा विभाग ने किराए पर लिया है. इस गाड़ी का एक महीने का कॉन्ट्रैक्ट 1400 किलोमीटर चलाने का होता है, जिसके बदले विभाग उसे 50-60 हजार रुपये देता है. लेकिन एक ही यात्रा में डीईओ साहब ने लगभग 600 किलोमीटर कवर कर लिया. अब लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या बचे हुए किलोमीटर का खर्च डीईओ अपनी जेब से देंगे या इसे भी ऑफिसियल काम दिखाकर पैसा लिया जाएगा?

बिना परमिशन मुख्यालय से बाहर गए

सरकारी नियमों के अनुसार, किसी भी अधिकारी को ऑफिस छोड़ने से पहले डीएम और संबंधित विभाग से परमिशन लेनी होती है. अब सवाल यह है कि क्या सुरेंद्र कुमार ने इसकी परमिशन ली थी? अगर नहीं, तो यह सीधा नियमों का उल्लंघन है. जब मीडिया ने उनका पक्ष जानने के लिए उनके सरकारी नंबर पर कॉल किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. जबकि नियम यह कहता है कि छुट्टी वाले दिन भी सरकारी ऑफिसर को कॉल रिसीव करना या बाद में वापस कॉल करना जरूरी होता है.

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सवालों के घेरे में शिक्षा विभाग के अधिकारी

शिक्षा विभाग के एसीएस एस. सिद्धार्थ कड़ी मेहनत से व्यवस्था को सुलभ और आसान बनाने में जुटे हैं. अफसरशाही खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं. वो खुद कभी ट्रेन, कभी ऑटो से स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं, वहीं उनके अधीनस्थ अधिकारी नियमों को ताक पर रखकर मनमानी कर रहे हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी की इस हरकत ने कई गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है. (श्रीति सागर)

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