Aurangabad News : पीड़ितों की आंखों में आज भी दहशत

Aurangabad News : मियांपुर नरसंहार : 25 वर्ष बाद भी इंसाफ का इंतजार, खोखले साबित हुए नरसंहार के बाद किये गये सभी वादे

By AMIT KUMAR SINGH_PT | June 15, 2025 9:51 PM
an image

औरंगाबाद/गोह . 16 जून 2000. वह दिन था जब औरंगाबाद जिले के माथे पर नरसंहार का एक बदनुमा दाग लगा था. 33 लोगों की हत्या कर दी गयी थी. आज उस नरसंहार को 25 वर्ष पूरे हो गये है. आज भी नरसंहार की टीस हर घर में दिखती है. हम बात कर रहे है औरंगाबाद जिले के उपहारा थाना क्षेत्र के मियांपुर गांव की. नरसंहार का जख्म आज भी लोगों के दिलों में ताजा है. गांव के लगभग 175 घरों में 1000 से अधिक लोग रहते हैं, जिनमें लगभग 725 वोटर हैं. उस खौफनाक रात को मारे गये लोगों के परिजनों की पीड़ा आज भी कम नहीं हुई है. 25 साल बाद भी उस रात की चीखें हवा में गूंजती हैं. यह गांव आज भी अंधेरे से डरता है. यूं कहे कि आज भी गांव वालों को इंसाफ नहीं मिलने का अफसोस है. प्रभात खबर की टीम ने मियांपुर गांव का जायजा लिया और लोगों से बातचीत की तो पता चला कि नरसंहार के बाद जो उनके साथ वादे किये गये थे वह सब खोखले साबित हुए.

मैं बच गयी थी, पर जी नहीं सकी : देवमतिया कुंवर

सीता कुंवर : बेटा मारा गया, पति सदमे में चल बसे, बहू मायके चली गयी

नरसंहार में सबकुछ गंवा चुकी सीता कुंवर की जिंदगी नर्क से कम नहीं है. हर वर्ष 16 जून को एक दिया जलाती हैं, और फिर सारी रात चुपचाप बैठी रहती है. शायद उस उजाले में उन चेहरों को ढूंढ़ती हैं जो कभी उनके संसार थे. सरकारें आयीं, वादे हुए, पर न सड़क बनी, न न्याय मिला. नरसंहार में सीता कुंवर का बेटा मारा गया. पति सदमे में चल बसा. बहू भी साथ छोड़ गयी. अब सिर्फ और सिर्फ अकेले जीवन गुजार रही हैं.

हमें दुश्मनों ने नहीं मारा, हमारे ही लोगों ने लूटा : आंधी सिंह

गोपाल यादव : एक साथ दो मासूम खोने का दर्द

घटना के वक्त गोपाल यादव अपने चार वर्षीय पुत्र कुनकुन और तीन वर्षीय भतीजे पप्पू को लेकर छीपे थे. अचानक हुई अंधाधुंध फायरिंग में दोनों मासूमों की मौके पर मौत हो गयी. गोपाल यादव के सीने में भी गोली लगी जो आर-पार हो गयी. उन्हें मात्र 11 हजार रुपये सहायता, इलाज के लिए 20 हजार और एक लाख मुआवजा मिला. उनकी पत्नी मीणा देवी बताती हैं कि गोलीबारी के वक्त उसके पति ने उसे भागने का इशारा किया, तब जाकर उसकी जान बची.

तेतरी देवी : दरवाजे पर खड़ी थी मौत

80 वर्षीय तेतरी देवी बताती है कि वह घटना के दिन अपने घर के दरवाजे पर खड़ी थी, तभी गोलियों की बौछार शुरू हो गयी. पूरा गांव चीख-पुकार से भर गया. वह किसी तरह घर में छिपकर अपनी जान बचायी.

कागजों में सिमटी अस्पताल व पोस्ट आफिस बनाने की घोषणा

नरसंहार में इनकी हुई थी हत्या

आरोपित हो गये बरी

मियांपुर नरसंहार मामले में 10 आरोपितों को सजा सुनायी गयी थी. बाद में नौ लोगों को बरी कर दिया गया था. वर्षों तक कोर्ट में मामला चला. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ितों के आश्रितों को उचित मुआवजा देने का आदेश जारी किया था. वैसे औरंगाबाद सिविल कोर्ट के एससीएसटी न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने 20 सितंबर 2007 को 10 आरोपियों को उम्रकैद की सजा के साथ ही पांच-पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी.जुर्माना नहीं देने पर तीन वर्ष के अतिरिक्त सजा सुनायी गयी थी.ट्रायल के दौरान अभियोजन की ओर से 69 गवाहों ने गवाही दी थी, जिसमें नौ चिकित्सक, दो न्यायिक दंडाधिकारी व चार पुलिसकर्मी शामिल हैं. अंतत: हाईकोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में नौ लोगों को बरी कर दिया था. प्राथमिकी मियांपुर गांव के राजाराम यादव ने दर्ज करायी थी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित खबर और खबरें

यहां औरंगाबाद न्यूज़ (Aurangabad News) , औरंगाबाद हिंदी समाचार (Aurangabad News in Hindi), ताज़ा औरंगाबाद समाचार (Latest Aurangabad Samachar), औरंगाबाद पॉलिटिक्स न्यूज़ (Aurangabad Politics News), औरंगाबाद एजुकेशन न्यूज़ (Aurangabad Education News), औरंगाबाद मौसम न्यूज़ (Aurangabad Weather News) और औरंगाबाद क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version