भीम बराज की मरम्मत की दरकार

अनदेखी़ जंग लगने से सड़ रहा नदी के डाउन साइड का गेट, बराज गाद से पटा

By SUDHIR KUMAR SINGH | June 8, 2025 6:17 PM
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अनदेखी़ जंग लगने से सड़ रहा नदी के डाउन साइड का गेट, बराज गाद से पटा

प्रतिनिधि, औरंगाबाद/अंबा़

बराज में गाद, टूटा काउंटर वेट बराज के मेनटेनेंस के प्रति झारखंड का मैकेनिकल विभाग अभी तक बिल्कुल संवेदनहीन रहा है. इस बार बराज के गेट की सर्विसिंग नहीं करायी गयी. बराज के भंडारण से पहले गेट का सारा काम कंप्लीट हो जाना चाहिए था. उक्त बराज के डाउन साइड में 40 गेट हैं. इसमें गेट नंबर 19 टर्न हैं. उसमें स्टॉप लॉग लगे हैं. किसी भी स्थिति में ऑपरेट नहीं होता है. वहीं, गेट नंबर 36 का काउंटर वेट डैमेज है. अधिकारियों की बात मानें, तो किसी क्षण टूट कर गिर सकता है. वर्ष 2016 के 16 अगस्त की रात में कोयल नदी में भयंकर बाढ़ आयी थी. उस वक्त की बाढ़ से गेट नंबर 4, 5, 19, 21 व 25 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. औरंगाबाद के पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह के प्रयास से अन्य सभी गेटों को ऐन वक्त पर ठीक करा दिया गया था. वर्तमान में बराज का 30 गेट जंग से सड़ रहा है. ऑपरेट करने के क्रम में कभी पानी के दबाव से डैमेज हो सकता है. जल संसाधन रूपांतरण प्रमंडल संख्या (2) मेदिनीनगर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुजीत जोन होरो ने बताया कि गेट का गेयर बॉक्स व ड्रम बॉक्स के साथ-साथ रस्सी की सर्विसिंग की जानी है. इसके लिए अहमदाबाद की हार्डवेयर मशीन टूल्स मशीनरी प्राइवेट प्रोजेक्ट अधिकृत है. उन्होंने बताया कि ऑयलिंग ग्रिसिंग, कैडनियम कंपाउंड, गेट वेयरिंग, रबर सील आदि का काम अभी बाकी है. बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने से बड़े पेड़ों के झटके से गेट अक्सर टर्न हो जाते हैं. इसके साथ ही बेयरिंग में जंग लग जाता है. विदित हो कि कोयल नदी की गाद से पूरा बराज पटा हुआ है. इसकी सफाई की सख्त जरूरत है. 2017 से लेकर आज तक गेट की पेंटिंग नहीं हुई है. गाद की सफाई नहीं होने से बराज का जल भंडारण क्षमता घट गया है. पूर्व के दिनों में बराज में एक बार पानी का स्टाॅक होने पर 10 दिनों तक नहर का संचालन किया जाता था. अब दो से तीन दिनों में बराज का वाटर पौंड लेबल डाउन कर जाता है. बिहार विभाजन के समय दोनों राज्यों के बीच कोयल नहर के लिए एक रोस्टर तैयार किया गया था. नहर के रखरखाव में बिहार और झारखंड के 10 और 90 अनुपात की राशि खर्च करनी थी. इसी तरह से पानी की भी खपत की जानी थी. वर्तमान में झारखंड 10 प्रतिशत के बजाय 60 प्रतिशत तक पानी सिंचाई में खपत करता है, जबकि मेनटेनेंस लागत में आनाकानी करता है.

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