रामचरितमानस को पाठ्यक्रमों में शामिल करने की मांग

पृथ्वीराज चौहान स्मृति स्थल के प्रांगण में मनायी गयी तुलसी जयंती

By SUJIT KUMAR | August 5, 2025 5:52 PM
an image

पृथ्वीराज चौहान स्मृति स्थल के प्रांगण में मनायी गयी तुलसी जयंती औरंगाबाद ग्रामीण. शहर के ब्लॉक मोड़ के समीप पृथ्वीराज चौहान स्मृति स्थल के प्रांगण में भक्ति काल के महान कवि, संत शिरोमणि तुलसी जयंती धूमधाम से मनायी गयी. पृथ्वीराज चौहान चैरिटेबल ट्रस्ट एवं औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तुलसी जयंती समारोह की अध्यक्षता जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने किया. जबकि, संचालन की जिम्मेदारी महामंत्री धनंजय जयपुरी द्वारा निभायी गयी. पृथ्वीराज चौहान चैरिटेबल ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष रामप्रवेश सिंह, उपाध्यक्ष प्रो ज्ञानेश्वर प्रसाद सिंह, समकालीन जवाबदेही के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र, पीएम श्री मध्य विद्यालय कुटुंबा के प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर प्रसाद साहू, डॉ शिवपूजन सिंह, संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य सूर्यपत सिंह, संयोजिका प्रियंका पांडेय आदि लोगों ने दीप प्रज्ज्वलित कर व तुलसीदास के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. विषय प्रवेश संस्था के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी द्वारा सुंदरकांड के श्लोक के पाठ के साथ किया गया. अनुपमा सिंह ने तुलसीदास की रचनाओं का सस्वर पाठ किया. शिवप्रसाद ने उन्हें भक्ति काल का दैदीप्यमान कवि बताया तो डॉ संजीव रंजन ने मानस को जीवन जीने की शैली बताया. सुमन अग्रवाल ने मानस के दार्शनिक तत्वों की चर्चा की. रामभजन सिंह, पुरुषोत्तम पाठक, लवकुश प्रसाद सिंह, नारायण सिंह, अश्विनी कुमार सोमनाथ, शिक्षक उज्जवल रंजन, प्रो राजेंद्र सिंह ने रामचरितमानस को ज्ञान का सागर बताया. विनय मामूली बुद्धि ने तुलसीदास के चमत्कारों की चर्चा की. अनुपमा सिंह ने तुलसी रचित ग्रंथों की चर्चा करते हुए कहा कि उनके जन्म पर जो भी मिथक हैं वे सच नहीं हो सकते. डॉ शिवपूजन सिंह ने तुलसी के मानस को राम कथा का आधारभूत इकाई माना. चंद्रशेखर साहू ने तुलसी के बारे में जो मिथक हैं उन्हें जनश्रुतियों का हिस्सा बताया. बाबा नरहरी दास के शिष्य तुलसी जो युग का प्रतिनिधि करने वाले हैं उन्हें सीमित दायरे में नहीं बांधा जा सकता. डॉ हेरम्ब मिश्रा ने तुलसी के मानस को कर्म ज्ञान भक्ति की त्रिवेणी बताया. डॉ ज्ञानेश्वर प्रसाद सिंह ने मानस के साहित्यिक पहलुओं की चर्चा की. उनके महाकाव्य को पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाने की आवश्यकता है. डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि तुलसी सही मायने में संत थे. रामचरितमानस एक कालजई कृति है. मानस के राम ने सभी रिश्तों को निभाया. राम अपने संबंधों के प्रति संवेदनशील रहे हैं. अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ सिद्धेश्वर बाबू ने मानस की भूमिका की चर्चा की. मौके पर ट्रस्ट के अध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप नारायण सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष जगदीश सिंह, संजय सिंह, राम सुरेश सिंह, रविंद्र कुमार सिंह, शिक्षक सुनील कुमार सिंह, नागेंद्र केसरी,सोमनाथ प्रसाद, ई अर्जुन सिंह, शिक्षक चंद्रकांत सिंह सहित अन्य उपस्थित थे.

संबंधित खबर और खबरें

यहां औरंगाबाद न्यूज़ (Aurangabad News) , औरंगाबाद हिंदी समाचार (Aurangabad News in Hindi), ताज़ा औरंगाबाद समाचार (Latest Aurangabad Samachar), औरंगाबाद पॉलिटिक्स न्यूज़ (Aurangabad Politics News), औरंगाबाद एजुकेशन न्यूज़ (Aurangabad Education News), औरंगाबाद मौसम न्यूज़ (Aurangabad Weather News) और औरंगाबाद क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version