जलमीनार बनाने के नाम पर बर्बाद हो गये लाखों रुपये बोरिंग व चापाकलों से निकलने वाला पानी होता है खारा, पीने में नहीं होता इस्तेमाल प्रतिनिधि, रफीगंज रफीगंज शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए लाखों रुपये खर्च कर बनाये गये जलमीनार से आम लोगों को थोड़ा भी फायदा नहीं हुआ. यह संबंधित विभाग के लिए शोभा की वस्तु बनकर रह गया. जब जलमीनार का निर्माण कराया गया तो शहरवासियों को उम्मीद थी कि उसके माध्यम से मुहल्लों व घरों तक पानी पहुंचेगा, लेकिन यह खुशी धरी की धरी रह गयी. पीएचइडी द्वारा महादेव स्थान में जलमीनार पर पानी चढ़ाने के लिए बोरिंग किया गया, लेकिन मीनार पर पानी नहीं चढ़ सका. इसके बाद तत्कालीन विधायक अशोक कुमार सिंह के प्रयास से वर्ष 2017 में डाकबंगला मैदान के पास बोरिंग किया गया, लेकिन यहां भी सफलता नहीं मिली. इसके बाद विभाग ने प्रयास करना छोड़ दिया. बताया जाता है कि रफीगंज शहर में मोटर, चापाकल से खारा पानी निकलता है, जो पीने योग्य नहीं होता. इस पानी का सेवन करने से यहां के लोगों में फाइलेरिया, असमय बाल का पकना आदि रोग उत्पन्न हो जाता है. इसके कारण चापाकल का पानी लोग नहीं इस्तेमाल करते. लोग अधिक कीमत देकर बोलत बंद पानी खरीदना पड़ रहा है. संभ्रांत लोग तो कीमत चुका कर पानी खरीद कर इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी मध्यवर्गीय एवं नीचे तबके के लोगों को होती है. यही पानी पीकर लोग बीमारी के शिकार होते जा रहे हैं. एक तरफ सरकार द्वारा हर घर नल एवं जल की व्यवस्था किये जाने का दंभ भरा जा रहा है, लेकिन करोड़ों रुपये की लागत से बने जलमीनार से पानी की आपूर्ति की व्यवस्था आज तक नहीं की गयी. अगर जलमीनार से आपूर्ति की व्यवस्था हो जाती है, तो बहुत बड़ी समस्या का सम धान हो जायेगा. सुनील कुमार, रंजीत कुमार, मनोज, दिनेश कुमार, रंजन कुमार, सुजीत कुमार सिंह, मो अकबर, सचिन कुमार सहित स्थानीय लोगों का कहना है कि जलमीनार को शुरू करने के लिए कई बार विभाग को आवेदन देकर व मौखिक रूप से कहा गया, किंतु आज तक जलमीनार को चालू कराने का प्रयास दोबारा नहीं किया गया, जिसके कारण पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है.
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