कारगिल विजय दिवस पर पूर्व सैनिक सम्मान समारोह व संगोष्ठी सभा आयोजित
प्रतिनिधि, औरंगाबाद शहर.
गर्व से भर देता है यह दिनसभी वक्ताओं ने कहा कि यह दिन देश के बहादुर बेटों के अदम्य साहस, शौर्य और सर्वोच्च बलिदान की याद दिलाता है. यह दिन न केवल हमें गर्व से भर देता है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि देश की रक्षा के लिए हम सभी को हर तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. यह अवसर हमें मां भारती के उन वीर सपूतों के अप्रतिम साहस और शौर्य का स्मरण कराता है, जिन्होंने देश के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. मातृभूमि के लिए मर-मिटने का उनका जज्बा हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा. कार्यक्रम का संचालन करते हुए सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने कहा कि कारगिल युद्ध की शुरुआत 1999 में मई के महीने में हुई थी. पाकिस्तानी घुसपैठियों ने अवैध तरीके से नियंत्रण रेखा को पार कर भारतीय पोस्ट पर कब्जा कर लिया था. इसके जवाब में भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन विजय चलाया गया था. यह युद्ध करीब दो महीने तक चला. भारतीय सेना ने साहस का परिचय देते हुए घुसपैठियों के नापाक इरादों को मिट्टी में मिलाते हुए विजय ध्वज लहराया था. यह दिन हम लोगों के लिए गर्व का दिन है. कला कौशल मंच के अध्यक्ष आदित्य श्रीवास्तव ने कहा कि यह दिन लहू को सम्मान करने का दिन है, जिन्होंने अपने शरीर के लहू को बहाते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे करने का काम किया था. मौके पर प्रमोद सिंह, मकसूदन तिवारी, उज्ज्वल रंजन, वीरेंद्र सिंह, अशोक सिंह, लवकुश प्रसाद समेत अन्य कई लोग मौजूद रहे.
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