दाउदनगर. खेतों में गेहूं की कटाई होने के साथ ही जूट की खेती की शुरुआत शुरू हो गयी है. रेपुरा की सहकारी संस्था खलिहान और भारतीय पटसन निगम की ओर से दाउदनगर अनुमंडल के दाउदनगर, हसपुरा और ओबरा तथा अरवल जिले के कलेर प्रखंड में जूट की खेती के लिए चयन किया गया है. इसकी बुवाई, निराई- गुड़ाई आदि के संबंध में किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. निगम के फारबिसगंज क्षेत्रीय कार्यालय से मास्टर ट्रेनर संजीत कुमार और अनुराग मेहता गांव-गांव जाकर लाभुक किसानों को इसकी खेती के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं.वे इसके लिए मशीनों के संचालन के संदर्भ में बारीकी से जानकारी दे रहे हैं. गौरतलब हो कि आज से लगभग तीन दशक पूर्व अपने सीमित जरूरत के लिए किसान जूट पटसन लगाते थे, जिससे रस्सी-पगहा वगैरह बनाने का काम करते थे, लेकिन बाजार में विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक से बने रस्सियों के आने के बाद इसकी खेती खत्म हो गयी थी. अब पर्यावरण मंत्रालय, कृषि मंत्रालय द्वारा प्लास्टिक से हो रहे पर्यावरणीय नुकसान के मद्देनजर उसके उपयोग को हतोत्साहित किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में विकल्प के रूप में भारत सरकार द्वारा जूट की खेती को प्रोत्साहित की जा रही है. यहां भी औद्योगिक कच्चे माल के रूप इसकी शुरुआत हो रही है. खलिहान के प्रोजेक्ट हेड रंजीत कुमार ने बताया कि रेपुरा जखौरा, देवहरा, कोईलवा, हैबसपुर आदि दर्जनों गांव में जाकर जूट की बुवाई करायी जा रही है. इस मौके पर दीपक कुमार, दिलीप कुमार, शर्मिला देवी, प्रदीप कुमार, विकास कुमार आदि खलिहान के कर्मचारी उपस्थित थे. इस कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत रहे समाजसेवी लेखक रविकांत ने बताया कि जूट का उत्पादन होने के बाद खलिहान के कर्मी किसानों से घर में जाकर रेशा प्राप्त करेंगे.
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