चाचा के हत्यारे दो भतीजों को आजीवन कारावास

अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्राथमिकी सूचक संजय राम ने 26 जून 2003 को प्राथमिकी में बताया था कि सार्वजनिक कुआं आने-जाने के लिए गैर मजरूआ जमीन में रास्ते के लिए सूचक और उनके पिता महंग राम से चाचा सहंगराम और उनके दोनों लड़के कृष्णा राम और कृत राम मारपीट करने लगे

By SUDHIR KUMAR SINGH | July 24, 2025 6:56 PM
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औरंगाबाद शहर. औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में प्रधान जिला जज राजकुमार वन ने मदनपुर थाना कांड संख्या -67/03, जीआर-1139/03, एसटीआर -306/03 में सजा की बिंदु पर सुनवाई करते हुए दो अभियुक्तों कृष्णा राम और कृत राम को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. लोक अभियोजक पुष्कर अग्रवाल ने बताया कि मदनपुर के करमडीह निवासी अभियुक्त कृष्णा राम और कृत राम को भादंवि की धारा -302/34 में आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है. साथ ही 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया है. जुर्माना नहीं देने पर एक साल अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी. अभियोजन की ओर से डॉक्टर, आईओ सहित ग्रामीणों की गवाही हुई थी. 25 दिसंबर 2003 को अभियुक्तों पर भादंवि की धारा 302/34 के तहत आरोप का गठन किया गया था. 10 जुलाई को दोषी करार दिया गया था. अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्राथमिकी सूचक संजय राम ने 26 जून 2003 को प्राथमिकी में बताया था कि सार्वजनिक कुआं आने-जाने के लिए गैर मजरूआ जमीन में रास्ते के लिए सूचक और उनके पिता महंग राम से चाचा सहंगराम और उनके दोनों लड़के कृष्णा राम और कृत राम मारपीट करने लगे, जिसमें महंग राम बुरी तरह से जख्मी हो गया. बाद में उनकी मौत हो गई थी. अभियोजन के दौरान अभियुक्त सहंग राम की मौत हो गई थी. सजा की बिंदु पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि अभियुक्त घर का कमाऊ सदस्य है. इनकी मां लकवाग्रस्त है. सहोदर भाई है, जो मजदूरी करते हैं. अभियोजन पक्ष ने कहा कि अपराध की गंभीरता देखते हुए सजा दी जाए. दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायधीश ने सजा सुनाई.

चार दाेषियों को आजीवन कारावास की सजा

औरंगाबाद शहर. औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में जिला जज अष्टम न्यायधीश मनीष जायसवाल ने उपहारा थाना कांड संख्या -80/20, एसटीआर -206/21में सजा की बिंदु पर सुनवाई करते हुए चार अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. एपीपी प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि शंकरडीह निवासी अभियुक्त अशोक शर्मा उर्फ अशोक वर्मा, अबु उर्फ रंजीत कुमार, सतीश कुमार, जय प्रकाश सिंह को भादंवि की धारा -302/149 में आजीवन कारावास की सजा और 15 हजार रुपये जुर्माना लगाया है. अभियोजन की ओर से डॉक्टर, आईओ सहित सात गवाही हुई थी. इस वाद में अभियुक्त विष्णुपद सिंह का अभियोजन के दौरान पांच जून 2025 को मौत हो गई थी. अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि सभी चारों अभियुक्तों को 14 जून को दोषी करार दिया गया था. शंकरपुर निवासी प्राथमिकी सूचक सुजीत कुमार ने दो दिसंबर 2020 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी जिसमें कहा था कि जमीनी विवाद के कारण नामजद आरोपित सहित अन्य अज्ञातों ने मिलकर हमारे पिता श्रीनाथ शर्मा को गांव के पूर्व नहर पर ले जाकर लाठी, डंडे, गंड़ासा से मारपीट के बाद गोली मार दी. घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने जख्मी हालत में पिता को गोह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां डॉक्टर ने श्रीनिवास शर्मा को मृत घोषित कर दिया.
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