औरंगाबाद शहर. कलेक्ट्रेट स्थित सभाकक्ष में जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में डॉ अंबेडकर समग्र सेवा अभियान एवं महिला संवाद के अंतर्गत आयोजित विशेष विकास शिविरों में प्राप्त आवेदनों की प्रगति और निबटारे की समीक्षा के लिए बैठक की गयी. इस बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक सुलभ रूप से पहुंचे और जिन आवेदनों पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है, उन्हें शीघ्र निबटारा किया जा सके. बैठक में डीआरडीए निदेशक द्वारा बताया गया कि इन शिविरों में 22 विभागीय योजनाओं के अंतर्गत आवेदन प्राप्त हुआ है. इनमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित राशन कार्ड निर्गत, उज्ज्वला योजना के माध्यम से स्वच्छ ईंधन उपलब्धता, जन्म प्रमाण पत्र का निर्गमन, आधार कार्ड निर्माण, कुशल युवा कार्यक्रम और कौशल विकास योजना, मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता, ई-श्रम कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड, स्वास्थ्य कार्ड, भूमिहीनों को वास-भूमि तथा वासगीत पर्चा उपलब्ध कराना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाएं, हर घर नल जल योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण पक्की गली-नाली निश्चय योजना, मनरेगा जॉब कार्ड, घरेलू बिजली कनेक्शन, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण और लोहिया स्वच्छता अभियान सहित अनेक योजनाएं शामिल थी. समीक्षा के क्रम में यह पाया गया कि कुछ योजनाओं से संबंधित आवेदनों की प्रक्रिया में विलंब हो रहा है. विशेष रूप से आधार कार्ड निर्माण के 1254, वासगीत पर्चा के 1200, सामाजिक सुरक्षा पेंशन के 108, हर घर नल जल योजना के 264, मनरेगा से संबंधित 340 और आयुष्मान भारत योजना के 100 आवेदन अब तक लंबित हैं. इसपर जिलाधिकारी ने गहरी नाराजगी प्रकट करते हुए संबंधित प्रखंड विकास पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी लंबित आवेदनों का त्वरित निष्पादन कर उसकी सूचना पोर्टल पर अपलोड की जाये, ताकि लाभार्थियों को समयबद्ध सेवा प्राप्त हो सके. उन्होंने स्पष्ट कहा कि आवेदनों की अनदेखी या देरी कतई बर्दाश्त नहीं की जायेगी और इसमें लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी. महिला संवाद के तहत प्राप्त आवेदनों की समीक्षा के दौरान भी कई विभागों की निष्क्रियता सामने आयी. विशेष रूप से पथ निर्माण विभाग (आरसीडी), जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी), सूचना प्रावैधिकी, ग्रामीण कार्य विभाग (आरडब्ल्यूडी) और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से एक भी आवेदन का निष्पादन नहीं किया गया था. इसपर जिलाधिकारी ने कड़ा रुख अपनाते हुए संबंधित विभागीय पदाधिकारियों को चेतावनी दी तथा निर्देश दिया कि सभी लंबित मामलों का शीघ्र निष्पादन कर लाभार्थियों को समय पर लाभ दिलाया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि महिला संवाद जैसी पहल का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है और इसके तहत प्राप्त आवेदनों को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित किया जाना चाहिए. बैठक के अंत में जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों से यह अपेक्षा व्यक्त की कि वे समर्पण और उत्तरदायित्व के साथ कार्य करते हुए सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाएं और सुनिश्चित करें कि कोई भी पात्र लाभार्थी सेवाओं से वंचित न रहे. बैठक में वन प्रमंडल पदाधिकारी रुचि सिंह, अपर समाहर्ता (आपदा प्रबंधन) उपेंद्र पंडित, सदर अनुमंडल पदाधिकारी संतन कुमार सिंह, डीसीएलआर श्वेतांक लाल, जिला योजना पदाधिकारी अविनाश प्रकाश, वरीय उप समाहर्ता रत्ना प्रियदर्शिनी, डीआरडीए निदेशक अनुपम कुमार, परियोजना पदाधिकारी ओम राजपूत, अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी नीलम मिश्रा, डीपीओ आईसीडीएस विनीता कुमारी, श्रम अधीक्षक प्रियंका कुमारी सहित अन्य अधिकारी शामिल थे.
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