पुलिस अनुसंधानकर्ताओं को दिया गया प्रशिक्षण, दी विस्तृत जानकारी प्रतिनिधि, औरंगाबाद शहर जिले में अनुसंधान प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और समयबद्ध बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल करते हुए योजना भवन के सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला नयी दिल्ली के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनेश कुमार मामले एवं उससे संबंधित अन्य मामलों में दिये गये दिशा-निर्देशों के आलोक में आयोजित की गयी. कार्यक्रम का उद्देश्य संधानकर्ताओं को अनुसंधान की नवीनतम तकनीकों एवं कानूनी प्रक्रिया में आयी डिजिटल प्रगति से अवगत कराना था. पुलिस अधीक्षक अंबरीष राहुल के निर्देशानुसार आयोजित इस कार्यशाला में जिला अभियोजन कार्यालय की अगुवाई में विशेषज्ञों ने अनुसंधान की पेचीदगियों और उनके समाधान पर प्रकाश डाला. कार्यशाला में दाउदनगर अनुमंडलीय अभियोजन पदाधिकारी विनय कुमार ने प्रशिक्षण सत्र का संचालन किया और डिजिटल अनुसंधान की बारीकियों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अब अनुसंधान प्रक्रियाएं डिजिटल रूप में होंगी जिससे समय की बचत होगी और कार्य की पारदर्शिता बढ़ेगी. इस दौरान जिला अभियोजन पदाधिकारी दीपक कुमार सिन्हा और अनुमंडलीय अभियोजन पदाधिकारी संजय कुमार सिंह ने अनुसंधानकर्ताओं के विभिन्न प्रश्नों का समाधान करते हुए उन्हें तकनीकी पहलुओं पर मार्गदर्शन दिया. अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि कंप्यूटराइज्ड अनुसंधान प्रणाली के अंतर्गत प्राथमिकी, साक्ष्य, आरोप पत्र आदि सभी दस्तावेज डिजिटली संग्रहीत होंगे. आरोप पत्र ऑनलाइन दाखिल किए जाएंगे और अनुसंधान डेटा न केवल रिकॉर्ड और स्टोर किया जाएगा, बल्कि आवश्यकतानुसार साझा भी किया जा सकेगा. इससे न्यायाधीशों को ऑनलाइन अनुसंधान देखने की सुविधा मिलेगी, जिससे वे जमानत याचिकाओं पर त्वरित निर्णय ले सकेंगे. उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रणाली से संज्ञान लेने में देरी नहीं होगी और पेपरलेस अनुसंधान प्रणाली के माध्यम से भारतीय न्याय संहिता के उद्देश्यों की पूर्ति आसान होगी. कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य अनुसंधानकर्ताओं को आधुनिक तकनीकी टूल्स से लैस कर अनुसंधान की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावशाली बनाना था, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं गति लाई जा सके. कार्यक्रम में जिलेभर के पुलिस अधिकारी शामिल हुए.
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