दाउदनगर कॉलेज में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में हुआ सेमिनार दाउदनगर. दाउदनगर कॉलेज में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो डॉ एमएस इस्लाम के निर्देशानुसार आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में मनोविज्ञान विभाग द्वारा परामर्श एवं मानसिक स्वास्थ्य पर सेमिनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं में बढ़ रहे अवसाद व तनाव की समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके समाधान के रूप में परामर्श व मानसिक स्वास्थ्य को समझना था. डॉ शहला बानो ने मानव के मस्तिष्क व शरीर के संबंध पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे मन-मस्तिष्क मानव शरीर को दुष्प्रभाव से बचा सकता है. उन्होंने तनाव एवं चिंता से शरीर में उत्पन्न होने वाले विभिन्न विकारों एवं उनके समाधान की चर्चा पीपीटी के माध्यम से की. डॉ श्रीनिवास सिंह ने परामर्श मनोविज्ञान के इतिहास और इसके समसामयिक महत्व की विवेचना करते हुए छात्र-छात्राओं को भारत के विकास में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने बताया कि भारत में परामर्श की शुरुआत 1938 ई में ही नरेंद्र देव की कमेटी द्वारा कर दी गयी थी. उन्होंने वर्तमान नयी शिक्षा प्रणाली में काउंसेलिंग की महत्ता पर विस्तार से अपनी बात रखी. विद्यार्थी संध्या कुमारी, कविता कुमारी, सूरज शाहू, गुलनाज, आफरीन, शिवानी कुमारी, प्रियंका कुमारी, अपर्णा कुमारी, रोशनी परवीन, सौम्या राज, खुशबू कुमारी, दुलारी कुमारी, सुमित कुमार पांडेय और सनी कुमार ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधित विभिन्न मुद्दों जैसे आत्म-हत्या, मानसिक विकृतियां, सोशल मीडिया एडिक्शन, मादक पदार्थ एडिक्शन इत्यादि के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए जानकारी दी. अध्यक्षता कर रहे कॉलेज के पीआरओ एवं भूगोल के वरीय सहायक प्राचार्य डॉ देव प्रकाश ने मनोविज्ञान विभाग के इन कार्यक्रमों को छात्र-छात्राओं के मनोबल व मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने की तरफ एक सार्थक कदम बताया. एनएसएस प्रोग्राम ऑफिसर के बतौर उन्होंने मनोविज्ञान विभाग के मिलकर नुक्कड़ नाटक व अन्य माध्यमों से मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम करने की बात भी कही एवं छात्र-छात्राओं को प्रेरित किया. धन्यवाद ज्ञापन मनोविज्ञान विभाग के वरीय सहायक प्राचार्य एवं कार्यक्रम समन्वयक प्रो शशांक मिश्र ने किया. उन्होंने महाविद्यालय के विद्यार्थियों में मेंटल हेल्थ के प्रति संवेदनशीलता को सुखद बताया और कहा कि इस भावना और जागरूकता से ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझा जा सकता है.संचालन बीए सेमेस्टर पांच, उर्दू की छात्रा शाकरा तबस्सुम ने किया. मौके पर पर काफी संख्या में छात्र-छात्राएं, शिक्षक एवं शिक्षकेत्तरकर्मी उपस्थित थे.
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