डॉ देवाश्री सिंह की तत्परता से बची वृद्धा की जान, परिजनों ने जताया आभार

डॉ सिंह ने अपनी चिकित्सकीय दक्षता और संवेदनशीलता का परिचय देते हुए मृतप्राय हो चुकी वृद्धा को जीवनदान दिया़

By SUJIT KUMAR | July 26, 2025 5:57 PM
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औरंगाबाद ग्रामीण. सदर अस्पताल में पदस्थापित महिला चिकित्सक डॉ देवाश्री सिंह के अथक प्रयास से 80 वर्षीय वृद्धा की जान बच गयी़ डॉ सिंह ने अपनी चिकित्सकीय दक्षता और संवेदनशीलता का परिचय देते हुए मृतप्राय हो चुकी वृद्धा को जीवनदान दिया़ इस साहसिक प्रयास की चर्चा पूरे दिन अस्पताल परिसर में होती रही़ वृद्धा की पहचान मुफस्सिल थाना क्षेत्र के डबुरा खुर्द गांव निवासी सुरेश्वरी देवी के रूप में हुई है. शनिवार की शाम सुरेश्वरी देवी के पुत्र राजेश सिंह और बड़ी पुत्री मीना देवी ने बताया कि उनकी मां की तबीयत बेहद खराब हो गयी थी. उन्हें गंभीर स्थिति में सदर अस्पताल लाया गया, जहां जांच के बाद आइसीयू में भर्ती किया गया. परिजनों के अनुसार, सुरेश्वरी देवी का ऑक्सीजन स्तर लगातार गिर रहा था, शुगर 700 से नीचे नहीं आ रहा था और क्रिएटिनिन का स्तर 1.5 की बजाय 2.6 तक पहुंच गया था. हालत इतनी नाजुक हो गई थी कि डायलिसिस की जरूरत महसूस की जाने लगी. डॉक्टरों ने मरीज को बेहतर इलाज के लिए रेफर भी कर दिया था. परिजन मानसिक रूप से टूट चुके थे और अंतिम संस्कार की तैयारी तक शुरू हो चुकी थी. इसी बीच परिजनों ने गया ले जाकर इलाज कराने का फैसला लिया. एंबुलेंस में ले जाते वक्त अचानक सुरेश्वरी देवी के मुंह से झाग निकलने लगा. स्थिति गंभीर देख परिजन तुरंत सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सक डॉ देवाश्री सिंह के पास पहुंचे. डॉ सिंह बिना देर किए एंबुलेंस तक दौड़ीं और मरीज को तत्काल आइसीयू में भर्ती कर लिया. इसके बाद उन्होंने इलाज शुरू किया. लगातार एक सप्ताह तक चले इलाज के बाद सुरेश्वरी देवी की स्थिति में सुधार हुआ और वे पूरी तरह स्वस्थ हो गयी. अब वह सामान्य जीवन जी रही हैं. परिजनों ने डॉ देवाश्री सिंह का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए कहा, हमने सुना था कि डॉक्टर धरती के भगवान होते हैं, लेकिन डॉ. देवाश्री सिंह को देखकर यह बात प्रत्यक्ष प्रमाणित हो गयी. उन्होंने हमारी मां को यमराज के मुंह से छीन लिया. इस संबंध में डॉ देवाश्री सिंह ने कहा, निःसंदेह सुरेश्वरी देवी की हालत अत्यंत गंभीर थी और उनकी जान बचने की संभावना बेहद कम थी. लेकिन परिजनों ने सरकारी अस्पताल की व्यवस्था पर भरोसा जताया, जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आया. यदि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक मरीजों का निरंतर फॉलोअप करते रहें, तो मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

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