औरंगाबाद शहर. समाहरणालय के सभाकक्ष में जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में आइसीडीएस विभाग, वन स्टॉप सेंटर तथा महिला विकास निगम की संयुक्त समीक्षा बैठक हुई. इसमें डीएम ने विभागीय योजनाओं की गहन एवं बिंदुवार समीक्षा की. समीक्षा की शुरुआत वन स्टॉप सेंटर सह महिला हेल्पलाइन सेंटर से की गयी, जिसमें यह जानकारी दी गई कि जनवरी 2025 से अब तक घरेलू हिंसा से संबंधित 55 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें मात्र 20 मामलों का निबटारा किया जा सका है. डीएम ने मामलों के कम निबटारा पर असंतोष व्यक्त करते हुए संबंधित पदाधिकारी को निर्देश दिया कि शेष मामलों का शीघ्र समाधान सुनिश्चित किया जाये. इसके बाद जिलाधिकारी ने जिले में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति की समीक्षा की गयी. जिले में स्वीकृत 2751 केंद्रों में से 2624 केंद्र संचालित हैं, जबकि 104 केंद्रों को समीपवर्ती संचालित केंद्रों में टैग किया गया है. वर्तमान में जिले में 2527 आंगनबाड़ी सेविकाएं कार्यरत हैं, जबकि 150 पद रिक्त हैं. जिलाधिकारी ने आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन, रिक्तियों, अधोसंरचना की स्थिति, केंद्रों में पेयजल और शौचालय की उपलब्धता, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, पोषण अभियान और न्यायालय वाद जैसे विषयों पर विस्तार से समीक्षा करते हुए निर्देश दिया कि सभी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाये. उन्होंने कहा कि केंद्रों पर ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता और गृह भ्रमण जैसी गतिविधियों को नियमित रूप से संचालित किया जाये, ताकि योजनाओं का लाभ वास्तविक लाभुकों तक निश्चित रूप से पहुंचे. इस कार्य की जिम्मेदारी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षिका और संबंधित सेविकाओं की होगी. बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों को यह निर्देश दिया कि वे विभागीय कार्यों को समयबद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण तरीके से निष्पादित करें. इसके साथ ही उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें त्वरित रूप से औरंगाबाद स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाए, ताकि उन्हें समुचित देखभाल एवं पोषण उपलब्ध कराया जा सके. बैठक में उप विकास आयुक्त अनन्या सिंह, डीपीओ आइसीडीएस विनीता कुमारी, सभी सीडीपीओ तथा महिला पर्यवेक्षिकाएं उपस्थित रहीं.
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