कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में अमरपुर के दारोगा विक्की कुमार निलंबित, लाइन हाजिर

भागलपुर प्रक्षेत्र के डीआइजी विवेक कुमार ने गत गुरुवार को कर्तव्यहीनता के आरोप में अमरपुर थाना के पुअनि विक्की कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उन्हें पुलिस लाइन में हाजिर कर दिया है.

By SHUBHASH BAIDYA | June 6, 2025 9:59 PM
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बांका. भागलपुर प्रक्षेत्र के डीआइजी विवेक कुमार ने गत गुरुवार को कर्तव्यहीनता के आरोप में अमरपुर थाना के पुअनि विक्की कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उन्हें पुलिस लाइन में हाजिर कर दिया है. इस बावत डीआइजी कार्यालय से एक आदेश पत्र जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि नीलाम पत्र वाद संख्या 93/22-23 के वारंटी अमरपुर थाना क्षेत्र के मोगलानीचक निवासी प्रयाग साह को विगत 10 जुलाई 2024 को गिरफ्तार कर थाना लाये और उसके बाद बीएनएसएस प्रावधानों के तहत सक्षम दंडाधिकारी के समक्ष उपस्थित नही करते हुये सलेमपुर के शाखा प्रबंधक को उन्हें सौंप दिया गया. साथ ही गिरफ्तार वारंटी को 40 घंटे तक पुलिस अभिरक्षा में रख उन्हें मुक्त कर दिया गया. उक्त वारंटी की गिरफ्तारी व रिहा करने का मामला भी थाना के स्टेशन डायरी में दर्ज है. जबकि थानाध्यक्ष पंकज कुमार झा एक वाद से संबंधित सुनवाई के लिए पटना चले गये थे. जिसके कारण उक्त दारोगा थानाध्यक्ष के प्रभार में थे. मामले में डीआइजी ने पहले उक्त दारोगा से स्पष्टीकरण भी पूछा था. डीआजी ने यह कार्रवाई कर आदेश पुलिस अधीक्षक बांका व संबंधित दारोगा को भेज दिया है.

क्या था मामला

थाना क्षेत्र के मोगलानीचक सलेमपुर निवासी प्रयाग साह ने गिरफ्तारी के बाद उक्त दारोगा के विरुद्ध डीआइजी सहित अन्य वरीय पुलिस पदाधिकारियों को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी थी. पीड़ित ने बताया है कि 2017 में उन्होंने युको बैंक शाखा सलेमपुर से साढ़े पांच लाख का सीसी ऋण दुकान पर लिया था. कोरोना के कारण उनका कारोबार प्रभावित हो जाने से बैंक का ऋण ससमय अदा नहीं कर पाया. जिसमें नीलाम पत्र वाद संख्या 93/22-23 के वारंटी प्रयाग साह को विगत 10 जुलाई 2024 को अमरपुर पुलिस ने घर पर आकर जबरन उन्हें उठाकर थाना लाया. उन्होंने पुलिस से बार-बार गिरफ्तारी वारंट दिखाने की मांग किया. लेकिन उन्हें कोई वारंट नही दिखाया गया और दारोगा विक्की कुमार ने उन्हें भुखे-प्यासे 48 घंटे तक हिरासत में रखा था. जिस मामले में स्थानीय लोगों के हस्तक्षेप के बाद दारोगा ने अपने तरीके से बैंक मैनेजर व वारंटी के बीच समझौता कराकर बिना सक्षम दंडाधिकारी के आदेश के उसे रिहा कर दिया था. मामले में दारोगा के मनमानेपन, स्वच्छेचरिता व कर्तव्यहीनता परिलक्षित करता है.

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