बिहार के इस दुर्गा मंदिर में औलाद की मन्नत पूरी होने की है मान्यता, तालाब में चुपके से डुबकी लगाती हैं महिलाएं…

Durga Puja 2024: बिहार में एक दुर्गा मंदिर ऐसा भी है जहां को लेकर मान्यता है कि यहां उन महिलाओं की भी मन्नत मां पूरा करती हैं जिन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो. जानिए कहां है यह मंदिर...

By ThakurShaktilochan Sandilya | October 4, 2024 2:50 PM
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दीपक चौधरी: बांका जिला अंतर्गत कटोरिया नगर पंचायत के राधानगर बाजार स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर की महिमा अपरंपार है. यहां बंगला पद्धति से मां भवानी की पूजा-आराधना की जाती है. राधानगर में पिछले 136 वर्षों से जारी मां भगवती को डाक चढ़ाने की परंपरा आज भी बरकरार है. डाक चढ़ाने के लिए मां भगवती के भक्त पहले ही नंबर लगाते हैं. राधानगर मंदिर की प्रसिद्धि इस बात से समझी जा सकती है कि यहां वर्ष 2045 तक डाक चढ़ाने को लेकर एडवांस बुकिंग हो चुकी है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां सच्चे मन से प्रार्थना करने पर मां से संतान का आशीर्वाद मिलता है.

2045 तक का डाक हो चुका है बुक

बता दें कि वर्तमान में डाक का खर्च लगभग 30 हजार रुपये के करीब है. वैसे तो प्रत्येक वर्ष एक ही श्रद्धालु के सौजन्य से मां को डाक चढ़ाया जाता है. लेकिन पिछले वर्ष मंदिर के जिर्णोद्धार कार्य को लेकर छह श्रद्धालुओं द्वारा डाक खर्च दिया गया था. मां को डाक से सुसज्जित किये जाने के बाद शेष राशि को मंदिर के निर्माण व विकास कार्य में खर्च किया गया. इस वर्ष राधानगर बाजार निवासी स्व बैलाश साह के पुत्र सह श्रद्धालु सह शिक्षक प्रदीप साह के सौजन्य से मां को डाक चढ़ाया जायेगा.

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श्रद्धालुओं की पूरी होती है हर मन्नत

क्षेत्र के लोगों की मान्यता है कि इस दुर्गा मंदिर में मांगी गयी मन्नत अवश्य पूरी होती है. महाअष्टमी तिथि को यहां दंड प्रणाम करते हुए मां के दरबार में हाजिरी लगाने की परंपरा भी लंबे समय से चली आ रही है. स्थापना काल से लेकर अब तक पूजा-अर्चना कार्य का संचालन बंगाली समाज द्वारा ही की जाती है. जबकि दुर्गा मंदिर में पूजा-अर्चना व संचालन का कार्य मेढ़पति भवानी नाग संभाल रहे हैं. जिसमें कई ग्रामीण सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.

मैया की कृपा से संतान प्राप्ति की है मान्यता

राधानगर बाजार स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर के इतिहास व प्रसिद्धि के बारे में मेढ़पति भवानी नाग ने बताया कि इस मंदिर से कोई भी दुखियारा आज तक खाली या निराश नहीं लौटा है. मां की कृपा से बांझिन की भी गोद भरती है. यहां प्रतिमा विसर्जन में समाज की महिलाएं भी साथ चलती है. एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्य की कामना भी करती हैं. औलाद की मन्नत मांगने वाली महिलाएं प्रतिमा विसर्जन के दौरान तालाब में गुप्त रूप से डुबकी भी लगाती हैं.

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